मून जे बने दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति

नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के बीच तनाव जारी है और वहीं दूसरी तरफ दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ कोरिया के मून जे इन ने जीत दर्ज कर ली है। इसी के साथ दक्षिण कोरिया में कंजरवेटिव शासन का अंत हो गया है। मून एक उदारवादी विचारधारा के नेता माने जाते हैं।मून जे बने दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति मून जे इन ने चुनाव में मिली भारी जीत के एक दिन बाद आज शपथ ग्रहण की। शपथ लेने के ठीक बाद उन्होंने परमाणु हथियारों से लैस उत्तर कोरिया के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच प्योंगयांग जाने की इच्छा जताई।

बता दें कि उत्तर कोरिया के साथ तनाव के माहौल में संपन्न हुए इस चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ कोरिया के उम्मीदवार और उदारवादी विचारधारा के ‘मून जे इन ‘ को मध्यमार्गी विचारधारा के आह्न चेओल-सू से कड़ी टक्कर रही। मून जे इन उत्तर कोरिया के साथ अच्छे संबंध बनाने के पक्षधर हैं। जबकि पूर्व राष्ट्रपति पार्क गून हे ने उत्तर कोरिया के साथ सभी संबंधों को खत्म करना चाहते थे। 64 वर्षीय मून इससे पूर्व 2012 में भी राष्ट्रपति चुनाव लड़े थे। लेकिन तब वे पार्क गून हे से पराजित हो गए थे।

राष्ट्रीय चुनाव आयोग के अनुसार मतदाताओं ने डेमोक्रेटिक पार्टी के मून को 42.2 प्रतिशत मत का समर्थन दिया। जबकि मून के प्रतिद्वंद्वी होंग जून-प्यो को सिर्फ 25.2 प्रतिशत मत मिले और आह्न चेओल-सू को 21.5 प्रतिशत मत मिले।

इस बार यहां पर कुल 77.2 फीसदी मतदान हुआ है जो पिछले बीस सालों में सर्वाधिक रहा है। दक्षिण कोरिया में बीते साल के दिसंबर माह से राजनीतिक तौर पर एक शून्य दिखाई दे रहा है। राष्ट्रपति पार्क ग्यून हेय भ्रष्टाचार व घोटालों के आरोप के चलते सत्ता गंवा बैठी और अब वह जेल में हैं। पिछले दस साल से यहां पर कंजरवेटिव पार्टी शासन थी।

हाल के दिनों में देखा जाए तो यह राष्ट्र अस्थिरता का सामना कर रहा है। एक तरफ राष्ट्रपति को जेल जाना पड़ा तो दूसरी ओर पड़ोसी राष्ट्र उत्तर कोरिया एक के बाद एक करके परमाणु परीक्षण करता जा रहा है। पिछले दिनों अमेरिका ने दक्षिण कोरिया में थाड मिसाइलें तैनात की, जिसका वहां पर काफी विरोध भी हुआ।

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माना जा रहा है कि मून जे इन के राष्ट्रपति बनने के बाद अनिश्चितता के इस दौर का अंत होगा। चुनाव आयोग की तरफ से आधिकारिक तौर पर घोषणा होने के बाद नए राष्ट्रपति बुधवार को शपथ लेंगे। एक्जिट पोल के मुताबिक मून को विजयी बनाने में युवाओं का समर्थन अहम रहने वाला है।

गौरतलब है कि बीते साल से हाल के कुछ महीनों तक मून पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन की अगुआई करते दिख रहे थे। विश्लेषषकों का मानना है कि मून अमेरिका के विरोध में काम करेंगे। अपनी एक किताब में उन्होंने जिक्र किया है कि दक्षिण कोरिया अब अमेरिका को न कहना सीख ले। वह उत्तर कोरिया के साथ नए स्तर से संबंध बनाने के हिमायती हैं। इस मसले पर उन्होंने पूर्ववर्ती कंजरवेटिव सरकारों की आलोचना भी की है।

उनका मानना है कि उत्तर कोरिया के साथ बातचीत का दौर शुरू करने के साथ दबाव व प्रतिबंध का दांव भी खेलना जरूरी है। पिछले चुनाव में वह पार्क ग्यून से पराजित हो गए थे। उधर, कंजरवेटिव लोगों की चिंता है कि मून की उदारवादी नीतियां उत्तर कोरिया के साथ व्यापार को बढ़ावा देने की रहेंगी। इससे पड़ोसी देश को आर्थिक लाभ होगा। वह परमाणु कार्यक्रम और तेज कर देगा।

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