मुहर्रम के जुलूस के दौरान हिंसा की आशंका, प्रशासन ने संवेदनशील इलाकों में निषेधाज्ञा किया लागू

Muharram in Kashmir कश्मीर में तनाव और अनिश्चितता के माहौल के बावजूद धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही सामान्य जिंदगी की रफ्तार पर रविवार को फिर प्रशासनिक पाबंदियों ने ब्रेक लगा दी। मुहर्रम के जुलूस के दौरान हिंसा की आशंका के चलते प्रशासन ने संवेदनशील इलाकों में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। रविवार को घाटी में व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। सार्वजनिक वाहन भी सड़कों पर से गायब रहे।

गौरतलब है कि 10 सितंबर को मुहर्रम का बड़ा जुलूस निकाला जाता है।गौरतलब है कि पांच अगस्त को 370 हटने के बाद कश्मीर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने अभी भी कई जगहों पर निषेधाज्ञा लगा रखी है। टेलीफोन सेवा सुचारु हो चुकी है। फिलहाल सुरक्षा कारणों से मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं ठप हैं। आतंकी संगठनों और अलगाववादी समर्थकों की दुकानें बंद करने की धमकियों को नजरअंदाज कर लोग सुबह-शाम दुकानें खोल रहे हैं। आम लोग भी शांति व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं, लेकिन मुहर्रम के मद्देनजर वादी में बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाने की खुफिया तंत्र की रिपोर्ट के बाद प्रशासन ने प्रशासनिक पाबंदियों में राहत की प्रक्रिया को रोक दिया।

लाल चौक और साथ सटे इलाकों में आने-जाने के रास्ते बंद कर दिए हैं। सड़कों पर कंटीले तार व अन्य अवरोधक लगा दिए गए। डाउन-टाउन में प्रशासनिक पाबंदियां रही। सोपोर, पट्टन, बारामुला, बडगाम, मागाम, गांदरबल, पुलवामा, अनंतनाग और कुलगाम में भी सुबह से निषेधाज्ञा सख्ती से लागू रही। इसका असर सामान्य जनजीवन पर नजर आया। वाहनों की आवाजाही लगभग थमी नजर आई। दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे।

श्रीनगर में संडे बाजार भी प्रशासनिक पाबंदियों से प्रभावित रहा। कुछेक इलाकों में रेहड़ी व ठेलों पर सामान बेचने वाले नजर आए। लालचौक और सभी मुख्य सड़कों पर मुहर्रम के जुलूस पर पाबंदी रही। शिया बहुल इलाकों के भीतरी हिस्सों में मुहर्रम की मजलिसों पर किसी तरह की रोक नहीं थी। पुलिस नियंत्रण कक्ष में मौजूद अधिकारी ने बताया कि कुछेक इलाकों में शरारती तत्वों ने गड़बड़ी का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें उसी समय नाकाम बना दिया। उन्होंने बताया कि स्थिति तनाव के बावजूद शांत रही है।

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