मिशन-2019: यूपी की सत्ता में कांग्रेस की वापसी के लिए प्रियंका को करना होगा कड़ी चुनौतीयों का सामना

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बहन प्रियंका गांधी को राज्य में पार्टी का चेहरा घोषित कर दिया है। समर्थक उनमें उनकी दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह करिश्माई छवि भी देखते हैं। इसके बावजूद प्रियंका गांधी के लिए यूपी में मिशन-2019 आसान नहीं है। उनके सामने अर्श से फर्श तक पहुंची कांग्रेस को 1984 में कांग्रेस यूपी की सिर्फ दो सीटें हारी थी, 2014 में सिर्फ मां-भाई जीते दरअसल, 1984 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ दो सीट हारने वाली पार्टी के लिए यूपी पूरी तरह बंजर बना हुआ है। पिछले 29 सालों से कांग्रेस सत्ता से बाहर है। वर्तमान में सबसे खराब दौर से गुजर रही है। कांग्रेस के पास प्रदेश में इस समय सिफ दो ही सांसद हैं। प्रियंका की मां सोनिया गांधी सांसद हैं तो दूसरे पर भाई राहुल गांधी।मिशन-2019: यूपी की सत्ता में कांग्रेस की वापसी के लिए प्रियंका को करना होगा कड़ी चुनौतीयों का सामना

403 सदस्यों वाली विधानसभा में सिर्फ सात विधायक, विपक्ष से भी मनभेद
इसी तरह 403 सदस्यों वाली प्रदेश विधानसभा में पार्टी के सिर्फ सात विधायक जीते हैं। 100 सदस्यीय विधान परिषद में कांग्रेस का केवल एक सदस्य है। अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि प्रियंका के लिए लोकसभा चुनाव की जमीन कितनी पथरीली है।यही नहीं, मतदाताओं के समर्थन के लिहाज से देखें तो भी पार्टी फर्श पर है। बहुत पीछे न जाएं और वर्ष 2009 की ही बात करें तो इस वर्ष के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने संतोषजनक प्रदर्शन किया था और 21 सीटें जीती थीं।

लेकिन 2014 में दो सीटों पर सिमट गई और वोट शेयर 7.5 प्रतिशत तक सीमित हो गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में राहुल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन सीटें और वोट प्रतिशत, दोनों ही गिए गए। कांग्रेस को 6.25 प्रतिशत वोटों से ही संतोष करना पड़ा। तस्वीर साफ है कि प्र्रियंका को यूपी में कांग्रेस को खड़ा करने के लिए करिश्मा ही दिखाना होगा, वरना यूपी के भरोसे भाई की राह आसान नहीं होने वाली।

जो मित्र थे वे भी सामने मैदान में..
प्रियंका को न सिर्फ केंद्र व प्रदेश की सत्ताधारी भाजपा जैसी पार्टी से तगड़ी चुनौती मिलेगी बल्कि पिछले विधानसभा चुनाव में ‘दो लड़कों का साथ पसंद है’ के नारे के साथ राहुल से हाथ मिलाकर चुनाव लड़ने वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव उनकी राह और भी पथरीली बनाने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ गठबंधन कर सामने मैदान में होंगे। दूसरे राज्यों में भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन देने वाली बसपा प्रमुख मायावती उनके खिलाफ आक्रामक तेवर के साथ नजर आएंगी।

70 जिलों में न सांसद न विधायक
कांग्रेस की पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षित तक जमीनी कमजोरी का अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि प्रदेश के 75 जिलों में से 70 में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। पूर्वांचल, पश्चिमांचल, बुंदेलखंड और मध्य यूपी के हिसाब से बात करें तो पूर्वांचल के रायबरेली, कुशीनगर व प्रतापगढ़ मिलाकर चार, पश्चिम के सहारनपुर जिले से दो और मध्य यूपी में कानपुर से एक विधायक है। अवध व बुंदेलखंड में पार्टी का एक भी विधायक नहीं है। इसी तरह लोकसभा सदस्यों की बात करें तो अवध, बुंदेलखंड और पश्चिम यूपी में पत्ता साफ है।

कांग्रेस का प्रर्दशन

लोकसभा चुनाव
वर्ष सीटें लड़ी सीटें जीती मत प्रतिशत
2009 80 21 18.25
2014 66 02 7.5

विधानसभा चुनाव
वर्ष सीटें लड़ी सीटें जीती मत प्रतिशत
1991 413 46 17.32
1993 421 28 15.08
1996 126 33 8.35
2002 402 25 8.96
2007 393 22 8.61
2012 355 28 11.65
2017 114 07 6.25

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