महाराष्ट्र: बीऍमसी व निकाय चुनावों में बीजेपी का डंका, कांग्रेस-एनसीपी का सूपड़ा साफ

मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले पर मुंबई समेत समूचे महाराष्ट्र की जनता ने मुहर लगा दी है। नोटबंदी के साढ़े तीन महीने बाद 10 महानगर पालिकाओं और 25 जिला परिषदों में भाजपा को मिली भारी सफलता ने फिर साबित कर दिया कि आर्थिक सुधारों पर आम जनता मोदी सरकार के साथ है। मुंबई जैसे व्यापारिक नगर में भी नोटबंदी का विरोध करती रही शिवसेना को बड़ा झटका लगा है।महाराष्ट्र: बीऍमसी व निकाय चुनावों में बीजेपी का डंका, कांग्रेस-एनसीपी का सूपड़ा साफ

एनसीपी और कांग्रेस का सूपड़ा साफ

दूसरी तरफ, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। महाराष्ट्र के स्थानीय निकायों के लिए मतदान 16 और 21 फरवरी को हुए थे। परिणाम गुरुवार को आए। 10 महानगर पालिकाओं में से नौ में भाजपा का महापौर और 25 जिला परिषदों में से 15 में उसके अध्यक्ष बनने के पूरे आसार हैं। भाजपा और शिवसेना अलग-अलग लड़कर भी इतनी ज्यादा सीटें हासिल करने में कामयाब रहीं, तो यह महाराष्ट्र में ‘भगवा’ विचार का फैलाव है।

जाहिर है कि इससे उत्तर प्रदेश चुनाव के बाबत भी भाजपा का उत्साह बढ़ गया है। नोटबंदी के तुरंत बाद नवंबर के तीसरे सप्ताह में महाराष्ट्र केकुछ और स्थानीय निकाय चुनावों के परिणाम भी भाजपा के ही पक्ष में रहे थे। बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) में शिवसेना को 84 और भाजपा को 82 सीटें मिली हैं। यहां पर भाजपा ने स्वयं 195 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था। शेष सीटें उसने मित्र दलों के लिए छोड़ दी थीं। पुणे, नागपुर, पिंपरी चिंचवाड़, नासिक, सोलापुर, अकोला, अमरावती और उल्हासनगर महानगर पालिकाओं में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है। ठाणे में शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी है।

मोदी की पारदर्शी राजनीति को जीत का श्रेय

मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का कहना है कि यदि मित्र दलों ने भाजपा के निशान पर चुनाव लड़ा होता, तो हम मुंबई में अपना महापौर बनाने के काफी करीब होते। फड़नवीस ने जीत का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी की पारदर्शी राजनीति को देते हुए कहा कि जनता ने इसको ही अपना आशीर्वाद दिया है।

 

भाजपा को उत्तर भारतीयों का समर्थन

मुंबई में करीब 25 साल बाद महानगर पालिका चुनाव में शिवसेना और भाजपा आमने-सामने थी। बावजूद इसके अधिकतर सीटें इन दोनों पार्टियों के खाते में ही आई। दोनों की सीटों में इजाफा हुआ। लेकिन, भाजपा ने जिस तरह से छलांग लगाया है, उससे साफ है कि महानगर में उत्तर प्रदेश जैसे हिंदी भाषी राज्यों के मतदाताओं की यह पहली पसंद बन गई है। उत्तर भारतीय गरीबों, मजदूरों और छोटे-बड़े व्यवसायियों ने भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाकर बता दिया कि नोटबंदी के कायल वे भी हैं, जो खुद नोटों का व्यापार करते हैं।

निरुपम ने की इस्तीफे की पेशकश

इस चुनाव में कांग्रेस और राकांपा जैसे दल साफ होते दिखाई दिए। 2012 में शिवसेना को 75, भाजपा को 32, कांग्रेस को 56 और राकांपा को 14 सीटें मिली थीं। कांग्रेस इस बार 31 और राकांपा नौ पर सिमट गई है। राज ठाकरे की मनसे को सिर्फ सात सीटें मिली हैं। हार की जिम्मेदारी लेते हुए मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने अपना इस्तीफा पार्टी हाईकमान को भेज दिया है। पिंपरी चिंचवाड़ महानगर पालिका में कांग्रेस एक भी सीट जीतने में नाकाम रही है।

पकंजा मुंडे ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा

वहीं महाराष्ट्र सरकार में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री और भाजपा नेता पंकजा मुंडे ने परली की 10 में से आठ सीटों पर मिली शिकस्त की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की है। उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज दिया है। उन्होंने कहा कि बीड में हुई पार्टी की हार की मैं जिम्मेदारी लेते हुए अपने मंत्री के पद से इस्तीफा देती हूं।

 

मोदी, शाह ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थानीय चुनावों में भाजपा की भारी सफलता के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी शानदार सफलता के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और प्रदेश अध्यक्ष रावसाहेब दानवे को बधाई दी है। भाजपा ने 25 फरवरी को देशभर में ओडिशा और महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनावों में जीत का जश्न ‘विजय उत्सव’ के रूप में मनाने का फैसला किया है।

एक सीट का फैसला लॉटरी से

इस चुनाव में भाग्य ने भी भाजपा का ही साथ दिया। वार्ड नंबर 220 में तीन बार मतगणना के बाद भी भाजपा और शिवसेना के बीच मुकाबला टाई रहा। यहां पर भाजपा प्रवक्ता अतुल शाह और शिवसेना के सुरेंद्र बगलकर को 5,496 वोट मिले थे। आखिरकार लॉटरी के जरिये नतीजा घोषित करने का फैसला किया गया। पांच साल की बालिका याशिका सालुंके को बुलाकर लाटरी निकाली गई, जिसमें अतुल शाह को विजेता घोषित किया गया।

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