भारत की इन 5 दलीलों के बाद मुश्किल होगा ट्रंप के लिए वीजा नियमों को बदलना

अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा कार्यक्रम से जुड़े नियमों को कड़ा करने के लिये सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है. इसका मकसद वीजा के दुरूपयोग को रोकना तथा यह सुनिश्चित करना है कि वीजा सर्वाधिक कुशल पेशेवर को दिया जाए. वहीं अमेरिका दौरे पर गए

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भारत के वित्त मंत्री अरूण जेटली ने अमेरिका के वित्त मंत्री स्टीवन न्यूचिन के समक्ष H-1B VISA पर प्रतिबंध के मुद्दे को उठाया. भारत का मानना है कि ऐसे प्रतिबंध से भारतीय आईटी पेशेवरों का अमेरिका आना प्रभावित होगा और इसका खामियाजा भारत समेत अमेरिकी कंपनियों को भी उठाना पड़ेगा. इसके अलावा भी कई ऐसी अहम दलीले हैं जिन्हें भारत सामने रख रहा है जिससे ट्रंप प्रशाषन अपनी वीजा नीति को बदलने में सिर्फ नुकसान का आंकलन कर सके.

1. अमेरिकी कंपनियों का भारत में कारोबार
डोनाल्ड ट्रंप की एच-1बी वीजा नीति में बदलाव की पहल पर कॉमर्स मिनिस्टर निर्मला सीतारमन ने कहा कि अमेरिका को यह नहीं भूलना चाहिए कि कई बड़ी अमेरिकी कंपनियां भी भारत में कारोबार करती है. सीतारमन ने अमेरिकी पहल पर साफ किया कि ये अमेरिकी कंपनियां भारत में बड़ा मुनाफा कमाती है जो कि सीधे अमेरिकी अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनती है. जाहिर है अमेरिका द्वारा भारतीय आईटी कंपनियों को निशाना बनाकर यदि कोई फैसला लिया जाता है तो अमेरिकी कंपनियों को भी भारत में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

2. न्यू डेवलपमेंट बैंक (ब्रिक्स बैंक) और एशिया डेवलपमेंट बैंक में सहयोग बढ़ाने की कवायद
भारत की चीन और रूस से बढ़ती नजदीकी उसकी न्यू डेवलपमेंट बैंक (ब्रिक्स बैंक) और एशिया डेवलपमेंट बैंक में सक्रिय भूमिका में देखने को मिलती है. जहां ब्रिक्स बैंक ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका के संगठन का नतीजा है वहीं एशिया डेवलपमेंट बैंक चीन द्वारा प्रायोजित है और भारत दोनों में ही सक्रिय भूमिका में मौजूद है. चीन द्वारा प्रायोजित बैंक एशिया डेवलपमेंट बैंक के लिए खासतौर पर अमेरिका पूरी दुनिया को इससे दूर रहने की चेतावनी दे चुका है हालांकि उसकी चेतावनी को यूरोपीय देशों और ऑस्ट्रेलिया ने नकार दिया. अब अमेरिका द्वारा एच-1बि वीजा पर कोई संरक्षणात्मक कदम के बाद ज्यादातर देश अमेरिका प्रायोजित विश्व बैंक और आईएमएफ (ब्रेटन वुड्स संस्थाएं) की जगह ब्रिक्स और चीन के बैंक को तरजीह देंगे.

3. दक्षिण चीन सागर में गुट निरपेक्ष नीति
दक्षिण चीन सागर में प्रभुत्व को लेकर अमेरिका और चीन में विवाद लगातार बढ़ रहा है. अमेरिका में पिछली बराक ओबामा सरकार इस मुद्दे पर भारत के साथ मजबूत रिश्ते की पक्षधर रही है. फरवरी 2017 से लगातार अमेरिकी प्रशाषन की कवायद जारी है कि वह भारत के साथ दक्षिण चीन सागर में संयुक्त पैट्रोल करे. हालांकि भारतीय कंपनियों को निशाने पर रखते हुए यदि अमेरिका वीजा मुद्दे पर अप्रत्याषित कदम उठाता है तो भारत के पास दक्षिण चीन सागर में गुटनिरपेक्ष नीति का पालन करने के सिवाए कोई विकल्प नहीं रहेगा. गौरतलब है कि अमेरिका की इस पेशकश पर फिलहाल चीन से संबंध खराब न करने को प्राथमिकता देते हुए भारत ने कोई फैसला नहीं लिया है.

4. भारतीय टैलेंट से अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूरी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा पर की गई कवायद के बाद केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत अपने सॉफ्टवेयर कौशल के बल पर दुनिया में परचम लहरा रहीं भारतीय आईटी कंपनियां दुनिया में कहीं भी नौकरियां चुराती नहीं बल्कि नौकरियां पैदा करती हैं. देश के अग्रणी आईटी शख्सियतों के साथ एक बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा, “भारतीय आईटी कंपनियां नौकरियां चुराती नहीं, बल्कि नौकरियां पैदा करती हैं. चाहे वह अमेरिका हो या कोई और देश. हमें अमेरिका और शेष दुनिया को दिए उनके योगदान पर गर्व है.” रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारतीय आईटी कंपनियों ने पिछले पांच वर्षो के दौरान अमेरिका को 22 अरब डॉलर टैक्स चुकाया और चार लाख नौकरियां पैदा कीं. जाहिर इस दलील से भी साफ है कि अमेरिका को वीजा नियमों में कोई अप्रत्याशित बदलाव करने के बाद नुकसान का सामना करना पड़ेगा.

5. मेक इन इंडिया और अमेरिका फर्स्ट में समावेशी तालमेल
अमेरिका में ट्रंप प्रशाषन के कमान संभालने के बाद मेक इन इंडिया की तर्ज पर अमेरिका फर्स्ट और बाई अमेरिकन की कवायद की गई. इस कवायद के चलते राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी नागरिकों के लिए नौकरी सुरक्षित करने की कवायद करते हुए अपने राजनीतिक वायदे को पूरा करने की कवायद की है. हालांकि दोनों देशों के इस परस्पर विरोधी रुख में जरूरत है कि वह अपने-अपने कार्यक्रमों के समावेशी तालमेल की संभावनाओं को तलाश करते हुए आगे बढ़ने के रास्ते को चिन्हित करें. यदि अमेरिकी की न्यू टेक्नोलॉजी और मैन्यूफैक्चरिंग में महारत है तो भारत के पास विशाल टैलेंट पूल के साथ-साथ वृहद बाजार भी है.

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