बेटी की चाहत में जोड़े ने किया ऐसा काम, जो आप सोच भी नहीं सकते


इत्तफाक देखिये कि दोनों परिवारों में पहले से कोई जान-पहचान तक नहीं थी, इसके बावजूद इतना बड़ा निर्णय लिया गया। अब इस एक कदम ने दोनों परिवारों को ऐसे अटूट रिश्ते में बांध दिया है, जो हमेशा एक-दूसरे से इनको जोड़े रखेगा।
बेटा आने से परिवार और सीता-अनूप खुश तो थे, लेकिन बेटी न होने की टीस उनके मन में थी। तभी किसी से पता चला कि तीन दिन पहले इसी अस्पताल में हिसार के किशनगढ़ निवासी रेनु पत्नी भूप सिंह को लगातार चौथी बेटी पैदा हुई है, जबकि उनको पहले से तीन बहनों के लिए एक छोटे भाई की दरकार थी।
इधर दो घरों में नये चिराग आए थे, उधर नियति अपनी अलग कहानी लिखने में व्यस्त थी। किरढान निवासी अनूप के मन में अचानक ना जाने क्या आया कि उसने किशनगढ़ निवासी भूप सिंह से सम्पर्क किया और ऐसी बात कही, जो भूप सिंह ने तो क्या दुनिया के किसी पिता ने ना सोची हो।
बस फिर क्या था, भूप सिंह ने सहर्ष प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और वीरवार को अस्पताल में ही दोनों परिवारों ने अपने-अपने बच्चों को एक-दूसरे की गोद में सौंप दिया। हालांकि आपसी सहमति से दोनों परिवारों ने एक-दूसरे को बच्चों की खुशी तो सौंप दी है, लेकिन अभी इसे कानूनी अमलीजामा पहनाया जाना बाकी है।
एडॉप्शन अधिकारी पूनम की मानें तो आपसी सहमति के बावजूद दोनों परिवारों को गोद देने की कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। तभी बच्चे कानूनी तौर पर अपने नये माता-पिता की संतान माने जाएंगे।