बेटी की चाहत में जोड़े ने किया ऐसा काम, जो आप सोच भी नहीं सकते

लोगों को बेटे की ऐसी चाहती होती ​कि उसके लिए वे बेटियों को मार देते हैं, लेकिन एक जोड़े ने बिटिया की चाहत में ऐसा अनोखा काम किया, आप सलाम करेंगे उन्हें। एक दंपति ने बेटी की चाह में अपने बेटे को दूसरे की गोद में डालकर उसके बदले उससे उनकी बेटी ले ली, ताकि उनके आंगन में भी एक नन्हीं सी चिड़िया चहचहाती रहे।
बेटी की चाहत में जोड़े ने किया ऐसा काम, जो आप सोच भी नहीं सकतेये कहानी सुनने में काल्पनिक लग सकती है, लेकिन है सौ टका सच। इस अविस्मरणीय सच को हकीकत का लिबास पहनाया है, हरियाणा के फतेहाबाद के गांव किरढान और हिसार के गांव किशनगढ़ के दो परिवारों ने।

इत्तफाक देखिये कि दोनों परिवारों में पहले से कोई जान-पहचान तक नहीं थी, इसके बावजूद इतना बड़ा निर्णय लिया गया। अब इस एक कदम ने दोनों परिवारों को ऐसे अटूट रिश्ते में बांध दिया है, जो हमेशा एक-दूसरे से इनको जोड़े रखेगा।

भूप सिंह के चौथी बेटी हुई थी

हुआ कुछ यूं कि फतेहाबाद के गांव किरढान निवासी सीता पत्नी अनूप सिंह के पास पहले एक बेटा है और उनकी चाहत थी कि इस बार उनके बेटे की सूनी कलाई पर राखी बांधने और तिलक करने वाली एक बहन आए, लेकिन इस बार फिर 14 नवंबर को उन्हें एक और बेटा दे दिया।

बेटा आने से परिवार और सीता-अनूप खुश तो थे, लेकिन बेटी न होने की टीस उनके मन में थी। तभी किसी से पता चला कि तीन दिन पहले इसी अस्पताल में हिसार के किशनगढ़ निवासी रेनु पत्नी भूप सिंह को लगातार चौथी बेटी पैदा हुई है, जबकि उनको पहले से तीन बहनों के लिए एक छोटे भाई की दरकार थी।

इधर दो घरों में नये चिराग आए थे, उधर नियति अपनी अलग कहानी लिखने में व्यस्त थी। किरढान निवासी अनूप के मन में अचानक ना जाने क्या आया कि उसने किशनगढ़ निवासी भूप सिंह से सम्पर्क किया और ऐसी बात कही, जो भूप सिंह ने तो क्या दुनिया के किसी पिता ने ना सोची हो। 

अब कानूनी रूप से गोद लेना देना है

अनूप सिंह ने भूप सिंह को सारी बात समझाते हुए अपनी बेटी उसे गोद देने व उसका बेटा गोद लेने का प्रस्ताव रखा। भूप सिंह को पहले तो कुछ समझ ही नहीं आया कि वो क्या जवाब दे। उसने अपने परिवार से इस पर विचार विमर्श किया तो परिजनों ने कहा कि शायद ऊपर वाले ने ही उनकी तीन बेटियों को भाई का प्यार देने के लिए ये लीला रची है।

बस फिर क्या था, भूप सिंह ने सहर्ष प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और वीरवार को अस्पताल में ही दोनों परिवारों ने अपने-अपने बच्चों को एक-दूसरे की गोद में सौंप दिया। हालांकि आपसी सहमति से दोनों परिवारों ने एक-दूसरे को बच्चों की खुशी तो सौंप दी है, लेकिन अभी इसे कानूनी अमलीजामा पहनाया जाना बाकी है।

एडॉप्शन अधिकारी पूनम की मानें तो आपसी सहमति के बावजूद दोनों परिवारों को गोद देने की कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। तभी बच्चे कानूनी तौर पर अपने नये माता-पिता की संतान माने जाएंगे। 

 
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