झारखंड विधानसभा चुनाव: बीजेपी खुद नहीं जानती है हार के ये 5 बड़े कारण, कांग्रेस को मिला बड़ा फायदा

झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के महागठबंधन को 81 में से 47 सीटें मिली हैं। वहीं भाजपा 25 सीटों पर सिमट गई है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य में भाजपा की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया है। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन अगले मुख्यमंत्री होंगे। करीब डेढ़ साल में यह पांचवां राज्य है जो भाजपा के हाथ से फिसल गया। इससे पहले मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार जा चुकी है। झारखंड में हार के बाद 16 राज्यों में एनडीए की सरकार रह गई है, जबकि एक समय 21 राज्यों में पार्टी या उसके सहयोगियों की सरकार थी।
लोकसभा के बाद तीन बड़े नतीजे
महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला, लेकिन मुख्यमंत्री पद पर विवाद के चलते शिवसेना ने राह अलग कर ली। बाद में शिवसेना ने राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई।
हरियाणा में 2014 विधानसभा चुनाव में अकेले बहुमत पाने वाली भाजपा को इस बार राज्य में दुष्यंत चौटाला की नवप्रवेशी जननायक जनता पार्टी (जजपा) के सहयोग से सरकार बनानी पड़ी।
अब झारखंड में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है।
ऐसे समझें झारखंड का जनादेश
भाजपा को सबसे ज्यादा 33.4 फीसद वोट मिले हैं, लेकिन सीटों के मामले में पार्टी झामुमो से पीछे है। भाजपा को 25 और झामुमो को 30 सीटें मिली हैं। झामुमो का वोट प्रतिशत 18.8 है। कांग्रेस 13.8 फीसद वोट के साथ 16 सीटों पर जीती है। भाजपा से अलग होकर लड़ी आजसू को आठ प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि सीटें दो हैं। स्पष्ट है कि आजसू का अलग होना भाजपा को भारी पड़ा।
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हार के पांच बड़े कारण
बागियों को नहीं संभाल पाने से भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा
राज्य में सहयोगी दलों को साधने में भी विफल रही पार्टी
कई विधायकों के टिकट कटने से भी गया गलत संदेश
आदिवासियों के लिए योजनाएं बनीं पर भरोसा नहीं जीत पाए
राष्ट्रीय मुद्दों को भुनाने की पार्टी की कोशिश भी विफल रही
नतीजों के मायने
एक के बाद एक राज्य गंवाना राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के लिए झटका
बिहार व अन्य राज्यों में सहयोगी दलों का दबाव भी बढ़ सकता है
नतीजे बताते हैं कि राज्य इकाइयों को केंद्र पर निर्भरता कम करनी होगी
कांग्रेस
महागठबंधन की कांग्रेस की रणनीति कारगर साबित हो रही
राष्ट्रीय स्तर पर कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने में मदद मिलेगी
सहयोगियों के साथ ही सही, पर भाजपा को रोकना कांग्रेस के लिए फायदेमंद
क्षेत्रीय दलों के लिए
महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड तीनों राज्यों में क्षेत्रीय दलों ने अपनी प्रासंगिकता साबित कर दी है। यहां कांग्रेस की कीमत पर क्षेत्रीय दल उभरे हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना और राकांपा सरकार की धुरी बने। हरियाणा में जजपा अपने पहले ही चुनाव में किंगमेकर बनकर उभरी। अब झारखंड में झामुमो ने इस रुझान को दोहराया है।