बचपन की याद: जब एक रुपये में 10 कंचे मिलते थे और हम मोहल्ले के शंहशाह थे !

बचपन कैसे बीता, पता ही नहीं चला. देखते-देखते हम बड़े हो गए. इसी के साथ Bachpan की वो शैतानियां और मस्तियां भी धीरे-धीरे खत्म हो गईं. वक्त के साथ बच्चों की डिमांड भी बदल गई. जहां हम अपने Bachpanमें एक रुपये में ढेर सारा सामान खरीद लेते थे वहीं अब एक रुपये में कुछ नहीं मिलता. तब हमारी जरूरते वो एक रुपये ही पूरा कर देता था. आज के बच्चों की पहली जरूरत तो Smartphone है. जो जाहिर है एक रुपये में नहीं मिलेगा.

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आज हम आपको कुछ ऐसी तस्वीरें दिखायेंगे जो आपको अपने Bachpan की याद दिलायेंगे. और उस जमाने में इनकी कीमत एक रुपये ही थीबचपन की याद: जब एक रुपये में 10 कंचे मिलते थे और हम मोहल्ले के शंहशाह थे !

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