प्रेगनेंसी में भी ले सकते हैं सेक्स का आनंद, ये है खास 5 तरह की सेक्स पोजीशन

लोगों के मन में यह भय रहता है कि गर्भावस्था में सेक्स का आनंद उठाने से शिशु को हानि पहुँच सकती है या महिला सेक्स का आनंद उठाने में अपने साथी को पूरी तरह से मदद नहीं कर पायेंगी. पर यह सब मिथक है गर्भावस्था के दौरान आप पूरी तरह से इसका आनंद उठा सकते हैं जिसके साथ आपको ध्यान भी रखना पड़ेगा. जिस तरह आप अपने गर्भ में पल रहे शिशु का ख्याल सही तरह का खाना खाकर और स्वस्थ रहने के लिए योगा करके करते हैं. गर्भवस्था में सेक्स करने से, एक दूसरे के करीब आने से दोनों के बीच का संबंध और भी गहरा होता है जो शिशु के लिए भी अच्छा होता है. उसी तरह से आप सेक्स का आनंद भी ले सकते हैं. ऐसे में आपको 5 पोजीशन अपना लेनी चाहिए जो सेफ भी हो सकती है. 

स्पूनिंग (Spooning)- यह सबसे सेफ पोज़िशन होता है. इस पोज़िशन में जिसप्रकार चम्मच एक साथ रखा रहता है उसी तरह दोनों साथी संभोग के अवस्था में होते हैं. इस पोज़िशन में सेक्स का पूरा आनंद सुरक्षा को ध्यान में रख कर दोनों उठा सकते हैं. इसमें पुरूष महिला के नीचे होता है और महिला के आराम को ध्यान में रख कर डीप पेनिट्रेशन का आनंद भी उठा पाता है.

वुमन ऑन टॉप (woman on top)- गर्भ के दौरान इस पोज़िशन से भी सेक्स का आनंद उठाया जा सकता है. इस पोज़िशन में महिला पुरूष के ऊपर होती है जिससे पेट पर भी कोई दबाव पड़ने का भय नहीं रहता है और महिला भी अपने गर्भ के शिशु के सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रख सकती है.

रिवर्स काउगर्ल (reverse cowgirl)- रिवर्स काउगर्ल उन दम्पत्तियों के लिए अच्छा होता है जो पुरूष अपने साथी के पेट को देखकर चितिंत हो जाते हैं और सेक्स करने से डरते हैं. यह वुमन ऑन टॉप की ही तरह होता है सिर्फ फर्क इतना है कि इस पोज़िशन में महिला पुरूष के दूसरे तरफ मुँह करके बैठती है.

लैप टॉप (lap top)- यह पोज़िशन रिवर्स काउगर्ल की ही तरह है सिर्फ फर्क इतना है कि पुरूष बिस्तर पर लेटने के जगह पर कुर्सी पर बैठा होता है. इस पोज़िशन में भी पुरूष महिला के पीछे के तरफ ही होता है जिससे महिला संभोग का आनंद सुरक्षित अवस्था में उठा सके.

एज ऑफ द बेड (edge of the bed)- इस पोज़िशन में महिला बिस्तर के किनारे पैरों को नीचे करके लेटती हैं और पुरूष घुटनों के बल बिस्तर के किनारे बैठता है. इस अवस्था में डीप पेनिट्रेशन का आनंद पुरूष उठा भी पाता है और माँ और शिशु को हानि पहुँचने का खतरा भी न के बराबर होता है.

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