परिवार में आपसी मनमुटाव की पांच प्रमुख वजह, जाकर रिश्ते को बना सकते हैं मजबूत

परिवार कई रिश्तों से जुड़ा होता है। समाज में रहने वाले हर व्यक्ति के जीवन में परिवार अहम भूमिका में होता है। परिवार के महत्व को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। भारत जैसे देश में रिश्ते और परिवार का सम्मान सर्वोपरि होता है। भारत में एक-एक परिवार में 10-10 सदस्य होते हैं। हालांकि वक्त के साथ संयुक्त परिवार का चलन भारत से खत्म होने लगा है और पाश्चात्य संस्कृति को अपनाते हुए लोग एकल परिवार की ओर बढ़ने लगे। इसका एक कारण परिवार के सदस्यों के बीच आपसी मनमुटाव भी है।

परिवार की नोक-झोंक पर एक कहावत मशहूर है, ‘जहां चार बर्तन होते हैं, वह खटकते ही हैं।’ जब ये खटपट बढ़ जाती है तो रिश्ते और परिवार टूटने लगते हैं। अगर आपको अपने परिवार में प्रेम और स्नेह बनाए रखना है तो सबसे पहले ये जान लें कि परिवार में मनमुटाव के पांच सामान्य कारण क्या हैं, ताकि उसे दूर करके रिश्ता मजबूत बनाए रखना आसान हो जाए।

आर्थिक तनाव
परिवार वैसे तो एक होता है लेकिन पैसा परिवार के बीच कलह की वजह बन सकता है। जब लोगों की आय इतनी कम होती है कि वह परिवार सदस्यों की जरूरतों को पूरा न कर सके तो परिवार में मतभेद और झगड़े बढ़ने लगते हैं।

सामाजिक तनाव
जब आप बड़े या संयुक्त परिवार में रहते हैं तो कई सदस्यों की आय से परिवार चलता है, लेकिन अगर परिवार के सभी सदस्यों की तुलना में किसी एक की आय कम हो तो उसे कम समझा जाता है। बराबरी का दर्जा और सम्मान न मिलने से वह परिवार में असमानता महसूस करता है। वहीं अधिक कमाने वाले भी ठगा सा महसूस कर सकते हैं। ऐसे में उनके बीच आपसी विवाद होने की संभावना बढ़ जाती है।

मानसिक दबाव
परिवार के सभी सदस्यों की सुख सुविधाओं को ख्याल रखने का दबाव, अन्य सदस्यों के बराबर रहने का प्रयास और दफ्तर में किसी तरह की कोई समस्या आदि के कारण मानसिक तौर पर व्यक्ति पर असर होता है। तनाव व चिंता बढ़ने से व्यक्ति छोटी-छोटी बात पर चिढ़ने लगता है और उत्तेजित व क्रोध में परिवार के सदस्यों से नाराजगी जाहिर करने लगता है।

निजता में हस्तक्षेप
भले ही आप एक परिवार हैं और साथ रहते हैं लेकिन हर इंसान का अपना एक व्यक्तिगत जीवन होता है। उनके बीच कुछ स्पेस या निजता होनी चाहिए। निजता में बहुत अधिक हस्तक्षेप या हर वक्त साथ रहने के कारण सदस्यों में झगड़े बढ़ जाते हैं। कोरोना काल में इसका उदाहरण देखने को मिला।

अधिकारों का विवाद
अक्सर परिवार में फैसले लेने का अधिकार घर के मुखिया का होता है। संयुक्त परिवारों में तो दूसरी और तीसरी पीढ़ी के वयस्क सदस्य भी अपने फैसलों के लिए बड़ों पर निर्भर होते हैं। ऐसे में अपने फैसलों को लेकर बुजुर्गों से विवाद होने की संभावना रहती है। वहीं जब परिवार के सभी सदस्यों को समान अधिकार नहीं मिलते तो भी मनमुटाव होने लगता है। इसलिए परिवार में सभी सदस्यों के साथ एक जैसा व्यवहार हो, उनके फैसलों को महत्व दें।

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