प्याज-टमाटर के बाद अब आलू को लेकर आई ये बड़ी खबर, हो सकता है…

आम आदमी को भारी बारिश की एक और कीमत चुकाना पड़ सकती है। खबर है कि प्याज और टमाटर के बाद अब आलू भी महंगे हो सकते हैं। कारण – सामान्य से ज्यादा बारिश और निर्धारित समय से ज्यादा समय तक बरस रहे मानसून के कारण आलू की बुआई एक महीना देरी से हुई है। यानी नई फसल आने तक आलू के दाम बढ़ने की आशंका है। इसका असर मंडियों पर नजर आने लगा है, क्योंकि पुराना आलू महंगा होता जा रहा है।

देश में आलू का ज्यादातर उत्पादन यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में होता है, लेकिन इस बार लगभग सभी राज्यों में आलू की बुआई देर से हो रही है। सितंबर के पहले हफ्ते में बुआई कर दिए जाने वाले अगैती आलू की बुआई अक्टूबर के आखिरी से नवंबर के पहले हफ्ते में होने की उम्मीद है। यूपी के फर्रुखाबाद और इसके आसपास का इलाका आलू की खेती वाला सबसे बड़ा क्षेत्र है। यहां आलू के बड़े किसान और व्यापारी कौशल कुमार कटियार का कहना है कि इस बार बारिश के चलते बुआई नहीं हो पाई है।

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कच्चा आलू (अगैती) मात्र 60 दिन में खुदाई लायक हो जाता है। बाजार में मांग को देखते हुए किसान इससे अच्छी कमाई कर लेते हैं। परंतु इस बार बुआई ही देर से हो रही है, जिसे भांपकर जिंस बाजार के खिलाड़ी हरकत में आ गए हैं। बाजार में आलू की कीमत 100 से 150 रुपए प्रति पैकेज (50 किग्रा) बढ़ाकर बोला जा रहा है। उत्पादक मंडियों में आलू 300 से 450 रुपए प्रति पैकेट बिक रहा है, जो राजधानी दिल्ली में पहुंचकर 25 रुपए प्रति किलो हो गया है। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के मूल्य निगरानी सेल की साइट पर आलू समेत अन्य जिंसों के रोजाना के दाम दर्ज हैं।

आलू विशेषज्ञ और कारोबार पर नजर रखने वाले सुशील कटियार बताते हैं कि इस बार नया आलू 15 दिसंबर से पहले नहीं आ पाएगा। हालांकि पंजाब से थोड़ा-बहुत नया आलू 15 नवंबर तक मंडियों में आ सकता है, लेकिन इस बार वहां भी अगैती आलू का रकबा कम है। कोल्ड स्टोर में फिलहाल पिछले साल के कुल उत्पादन का 35 फीसदी आलू रखा है। इसमें से 20 फीसद से अधिक आलू बुआई के लिए बीज के रूप में इस्तेमाल होगा। इस कारण अगले 60 से 70 दिनों के लिए आलू की जरूरत को पूरा करने में मुश्किल आएगी। आशंका है कि पुराने आलू के साथ बाजार में आने वाले नए आलू का दाम भी चढ़ सकता है।

कृषि मंत्रालय के हॉर्टिकल्चर फसलों के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2018-19 के दौरान आलू की कुल पैदावार 5.30 करोड़ टन थी। कोल्ड स्टोर से मिले आंकड़ों के मुताबिक मई में साढ़े 6, जून में 9.5, जुलाई में 13.5 और अगस्त में 16 फीसदी आलू की निकासी हुई है। वहीं अक्टूबर में अब तक 15 फीसदी आलू कोल्ड स्टोर से निकला जा चुका है। इस बचे आलू के स्टॉक से बुआई होगी। इसी को भांपकर बाजार में आलू अपना रंग दिखा सकता है।

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