पाकिस्तान ने सिख विद्वानों को आमंत्रित कर चली ये चाल, बताया जा रहा है कि…

जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के भारत के कदम से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. बौखलाहट में वह तमाम पैंतरेबाजी कर रहा है. भारत को घेरने के लिए पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तमाम कवायद कर रहा है.

अब इसी क्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पंजाब प्रांत के राज्यपाल को तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिख सम्मेलन की मेजबानी करने का निर्देश दिया है. इसमें दुनिया भर के कम से कम 50 सिख विद्वानों को आमंत्रित किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस दौरान पाकिस्तान सिख विद्वानों से कश्मीर मसले को उठाने की अपील करेगा.

बहरहाल, यह सम्मेलन 31 अगस्त से 02 सितंबर 2019 तक लाहौर में आयोजित किया जाएगा. अधिवेशन में भारत, कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और अन्य देशों के सिख विद्वान शामिल होंगे. ‘आज की परिस्थितियों में बाबा गुरु नानक युग की प्रासंगिकता’ की थीम पर आयोजित कार्यक्रम को लेकर पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने कम से कम 50 विद्वानों के लिए वीजा जारी किया है.

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खबर के मुताबिक भारत के कम से कम 11, अमेरिका, फ्रांस से एक-एक, कनाडा से 7 और अन्य देशों के सिख विद्वान सम्मेलन में भाग लेंगे. पंजाब प्रांत सरकार के सूत्रों ने बताया कि सभी मेहमानों को ‘राज्य अतिथि’ माना जाएगा. अधिवेशन लाहौर में गवर्नर हाउस में आयोजित किया जाएगा.

पंजाब के गवर्नर चौधरी सरवर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे, जबकि एवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) इस आयोजन में मदद करेगा. विदेशी सिख मेहमानों को उनकी धार्मिक यात्रा के लिए ननकाना साहिब भी ले जाया जाएगा.

अधिवेशन के अंतिम दिन चित्र प्रदर्शनी लगाई जाएगी. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान और पंजाब प्रांत के गवर्नर चौधरी सरवर की लाहौर में एक मुलाकात के दौरान इस अधिवेशन का विचार साझा किया गया था.  

प्रधानमंत्री इमरान खान ने जोर देकर कहा है कि इस कार्यक्रम का आयोजन करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के मद्देनजर किया जाना चाहिए, जिसमें सिख विद्वानों, जिनकी लेखनी और आवाज को विश्व स्तर पर सुना जाए, को सम्मेलन में आमंत्रित किया जाना चाहिए.

फिलहाल, इंडिया टुडे को जानकारी मिली है कि आमंत्रित मेहमानों से अपने लेखन के जरिये जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने की अपील की जाएगी. विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि इमरान खान का जोर इस बात पर है कि सिख विद्वानों से वैश्विक मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाने के लिए कहा जाना चाहिए. सिख विद्वानों को जम्मू और कश्मीर के लोगों की समस्याओं को लेखों के माध्यम से उजागर करने और वैश्विक प्लेटफार्मों पर इस मुद्दे को उठाने के लिए कहा जाएगा.

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