नेपाल और चीन मिलकर नापेंगे माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई

नेपाल और चीन माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई संयुक्त रूप से फिर मापने पर सहमत हो गए हैं। दरअसल, ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि नेपाल में अप्रैल 2015 में 7.6 तीव्रता के आए जबरदस्त भूकंप के बाद दुनिया की इस सबसे ऊंची चोटी की ऊंचाई करीब तीन सेंटीमीटर कम हो गई है। इसके बाद वैज्ञानिक समुदाय में एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर संदेह पैदा हो गया था। तब भारत ने भी साल 2017 में नेपाल को माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई फिर मापने में मदद देने का प्रस्ताव दिया था।

भारत-नेपाल संयुक्त वैज्ञानिक अभ्यास के रूप में एवरेस्ट की ऊंचाई मापने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया ने सर्वे डिपार्टमेंट ऑफ नेपाल के साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव दिया था। बताते चलें कि वर्तमान में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8,848 मीटर है, जो आधिकारिक रूप से मान्य है।

माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई फिर मापने का फैसला चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पिछले हफ्ते नेपाल की यात्रा के दौरान नेपाली राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री ओपी शर्मा ओली के बीच हुई वार्ता के बाद लिया गया। दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान के मुताबिक वे माउंट सागरमाथा या माउंट झुमुलंगमा की ऊंचाई की संयुक्त रूप से घोषणा करेंगे और वैज्ञानिक अनुसंधान करेंगे।

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दोनों देशों की ओर से जारी किए गए बयान के अनुसार, माउंट एवरेस्ट चीन और नेपाल के बीच दोस्ती का प्रतीक है। दोनों ही देश विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे। इसमें जलवायु परिवर्तन के साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा करना शामिल है।

बता दें कि नेपाली भाषा में माउंट एवरेस्ट को माउंट सागरमाथा और चीनी भाषा में माउंट झुमुलंगमा कहते हैं। बताते चलें कि 1855 में सर जॉर्ज एवरेस्ट के नेतृत्व में भारत ने पहली बार माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई घोषित की थी। उन्होंने ही यह तथ्य दिया था कि माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है। भारत ने 1956 में एक बार फिर इसकी ऊंचाई की घोषणा की थी।

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