इस वजह से नवरात्रि में रात में मां दुर्गा की पूजा करना होता है शुभ, ये है महत्व

शारदीय नवरात्रि 10 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं. अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत होती है. नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. पहले दिन मां शैलपुत्री पूजा, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी पूजा, तीसरे दिन चंद्रघंटा पूजा, चौथे दिन कुष्मांडा पूजा, 5वें दिन स्कंदमाता पूजा, 6ठें दिन कात्यायनी पूजा, 7वें दिन कालरात्रि पूजा, 8वें महागौरी पूजन और 9वें दिन मां सिद्धिदात्री पूजन किया जाता है.

कहा जाता है कि मां दुर्गा की पूजा शांत वातावरण में होती है. इन नौ दिन ध्यान और आध्यात्मिक मनन चिंतन शांति में करना होता है क्योंकि हमारा चित्त स्थिर नहीं होगा तो मन में भटकाव रहेगा तो ध्यान नहीं लग पाएगा. इस वजह से रात में करना सर्वोपरि माना जाता है. अगर हमारा मन शांत नहीं रहेगा तो हम मां के चरणों में ध्यान नहीं लगा पाएंगे और पूजा अधूरी मानी जाएगी. हर पूजा व कथा का पहला नियम ही यह होता है कि हम अपना पूरा ध्यान पूजा के कुछ मिनट व घंटे भगवान में ही लगाए और सभी चिंताएं छोड़ पूजा अर्चना करें.

नवरात्रि के नौ रातें इस शब्द का मतलब नव अहोरात्रों होता है जिसका सटीक अर्थ हुआ कि विशेष रात्रियां. इसीलिए यह दूसरा कारण है जब नवरात्रि की खास पूजा को रात में ही किया जाता है. गुप्त नवरात्रि में तो पूजा सुबह की ही नहीं जा सकती. इसी तरह चैत्र और शारदीय नवरात्रि में भी पूजा रात को ही करना शुभ माना जाता है. रात्रि का समय सिद्धि प्राप्ति के लिए बेहद अच्छा माना जाता है, इसी वजह से दिन के तुलना में रात में उपासना करना ज्यादा लाभदायी होता है.

 

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