खतरा: दिमाग हैक कर डेटा चोरी या डिलीट कर सकते हैं हैकर्स

 इन्सान का दिमाग पढ़ने वाली तकनीक पर वैज्ञानिक तेजी से काम कर रहे हैं। ताजा खबर यह है कि इस तकनीक के जरिए हैकर्स आपके दिमाग को हैक कर सकते हैं और वहां मौजूद जानकारियों (डेटा) को चुरा सकते हैं या डिलीट कर सकते हैं।

 दिमाग हैक कर डेटा

जैसे-जैसे रिसर्चर्स इस तकनीक को पाने की दिशा में बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे नई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। हैकिंग की यह आशंका उठने के बाद कहा जा रहा है कि नए कानून बनाने पड़ेंगे, जिससे लोगों की प्रायवेसी और दिमाग में दर्ज डेटा को होने वाले नुकसान की रक्षा की जा सके।

स्विट्जरलैंड में पीएचडी के स्टूडेंट मार्सेलो लेंसा के मुताबिक, न्यूरोटेक्नोलॉजी की इस तकनीक से ‘दिमाग की आजादी’ खतरे में पड़ जाएगी। इसे बचाने के लिए बहुत सारे कानूनों की दरकार है।

वे आगे कहते हैं कि कोई किसी के विचारों को चोरी नहीं कर सकता और सोचने की आजादी को भी नहीं छिना नहीं जा सकता, लेकिन न्यूरल इंजीनिरिंंग, ब्रेम इमेजिंग और न्यूरो-टेक्नोलॉजी की आधुनिक तकनीक से यह खतरे में है।

कानून में ये प्रावधान होने चाहिए कि लोग न्यूरोटेक्नोलॉजी के ऐसे प्रयोगों से इन्कार कर सकें। हालांकि वैज्ञानिकों का मकसद व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर फायदा पहुंचाना है, लेकिन हैकर्स इसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।

ऐसे बाहर आ सकती है दिमाग की बातें

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– कहीं-कहीं कंज्यूमर कंपनियां न्यूरोमार्केटिंग के लिए ब्रेन इमेंजिंग का इस्तेमाल शुरू कर चुकी हैं, ताकि ग्राहकों की सोच तक पहुंच सकें।

– ब्रेन डिकोडर जैसे कुछ टूल्स इजाद किए जा चुके हैं, जो ब्रेन इमेजिंग डेटा के इमेजेस, टैक्स्ट या साउंड के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं।

– भविष्य में कंज्युमर टेकनोलॉजी को कंट्रोल करने के लिए ब्रेन-कंप्युटर इंटरफेस का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक नुकसान पहुंचाए जाने की आशंका बढ़ जाती है।

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