जिसके पीछे पड़ी है CBI, उसी की कोशिशों से माल्या के प्रत्यर्पण पर मिली सफलता

ब्रिटेन की अदालत ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण की अनुमति देते हुए विवाद में फंसे सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को जश्न का मौका दिया है. इस अदालत ने सोमवार को कहा कि शराब कारोबारी माल्या के बचाव पक्ष ने अस्थाना पर भ्रष्ट तरीके से काम करने का आरोपलगाया था, जबकि ऐसा नहीं है.

साल 1984 बैच के गुजरात कैडर के अधिकारी अस्थाना ने माल्या के 2016 में भारत से भागने के बाद सीबीआई के विशेष जांच दल का नेतृत्व किया था और ब्रिटेन से उनके प्रत्यर्पण के मामले को गंभीरता से आगे बढ़ाया था.

हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना से जुड़े एक मामले में कथित रूप से रिश्वत को लेकर सीबीआई की ओर से अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद सरकार ने उन्हें और सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया था. इस मामले को उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौतीदी है. दोनों अधिकारियों ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार और सना को बचाने के आरोप लगाए थे.

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सितंबर में लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने माल्या के प्रत्यर्पण पर फैसला सुरक्षित कर लिया था और सोमवार को इसका ऐलान कर दिया. हालांकि माल्या के बचाव पक्ष ने अपने गवाह प्रोफेसर लॉरेंस सेज को पेश किया था, जिन्होंने अस्थाना की ईमानदारी को लेकरगंभीर आरोप लगाए थे.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, सोमवार को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत की जज एम्मा अर्बुथनॉट ने अपने आदेश में कहा कि बचाव पक्ष ने अस्थाना की आलोचना करके अदालत को इस बात पर राजी करने का प्रयास किया कि प्रॉसिक्यूटर (अस्थाना) भ्रष्ट और राजनीति से प्रेरितहै. जज ने कहा कि उन्हें इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि प्रॉसिक्यूटर भ्रष्ट या राजनीति से प्रेरित है.

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