जानिए भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 विमान के बारे में सब कुछ…

भारतीय वायुसेना ने आज तड़के पाक अधिकृत कश्मीर में जैश के ठिकानों पर जमकर बमबारी की। इस दौरान कई आतंकी कैंप के नष्ट होने की खबर है। भारतीय वायुसेना के 12 मिराज-2000 विमानों के समूह ने जैश के कैंप पर 1000 किलग्राम के बम गिराए। इस हमले के लिए एयरफोर्स द्वारा मिराज-2000 विमानों का चयन करना भी एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा था। जानिए मिराज-2000 विमानों की खासियत-जानिए भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 विमान के बारे में सब कुछ...

मिराज-2000 विमान फ्रांस की कंपनी डसाल्ट एविएशन द्वारा बनाया गया है। यह वही कंपनी है जिसने राफेल को बनाया है जिसे लेकर भारतीय राजनीति आज भी गर्माई हुई है। मिराज-2000 चौथी जेनरेशन का मल्टीरोल, सिंगल इंजन लड़ाकू विमान है। इसकी पहली उड़ान साल 1970 में आयोजित की गई थी। यह फाइटर प्लेन अभी लगभग नौ देशो में अपनी सेवाएं दे रहा है।

हालांकि इसमें समय-समय पर अपडेशन का काम भी किया जाता रहा है। साल 2009 तक लगभग 600 से अधिक मिराज-2000 दुनिया भर में सेवारत हैं।

भारतीय वायु सेना द्वारा संचालित लगभग 51 मिराज 2000 विमानों के एक बेड़े को उन्नत करने के लिए फ्रांस से 1.9 बिलियन डालर का समझौता किया गया है। जून 2011 में यह घोषणा की गई कि सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) ने भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 के उन्नयन पर विचार करेगी। जिसके बाद यह समझौता किया गया था।

पाक के एफ 16 को रोकने के लिए भारत ने खरीदे मिराज 2000

मिराज विमान

पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा उस समय के सबसे बेहतरीन विमान एफ-16 को दिए जाने के बाद भारत ने फ्रांस के मिराज 2000 की खरीद के संबंध में बातचीत शुरू कर दी थी। अक्टूबर 1982 में भारत ने 36 सिंगल-सीट मिराज-2000Hs और 4 ट्विन-सीट मिराज-2000THs के लिए डसॉल्ट को ऑर्डर दिया।

पहले, 150 विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ बातचीत चल रही थी, जिसका निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ संयुक्त उत्पादन के तहत होता। भारत के पास लाइसेंस के तहत कई मिराज 2000 का उत्पादन करने का विकल्प था जो बाद में सोवियत संघ के साथ देश के घनिष्ठ संबंध के कारण खत्म हो गया था।

29 जून 1985 को नंबर 7 स्क्वाड्रन के पहले सात विमानों की डिलीवरी के साथ भारतीय वायु सेना इस प्रकार का पहला विदेशी सेना बनी जिसके पास मिराज 2000 विमान थे। शुरूआत में इस विमान में स्नेक्मा एम 53-5 इंजन थे जिसे बाद में एम 53 पी-2 इंजन से बदल दिया गया।

मिराज 2000 में परिवर्तित होने वाला दूसरा स्क्वाड्रन नंबर 1 स्क्वाड्रन था। जिसे द टाइगर्स के नाम से जाना जाता है। इसे 1986 में औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया

मिराज विमान
मिराज 2000 में उन्नत एवियोनिक्स, आरडीवाई रडार और नए सेंसर और कंट्रोल सिस्टम का उपयोग करके नए कई निशानों को एक साथ साधना, हवा से जमीन और हवा से हवा में भी मार करने में माहिर है। यह पारंपरिक और लेजर गाइडेड बम को भी गिराने में सक्षम है।

विमान की कॉकपिट
विमान की कॉकपिट उस जगह को कहा जाता है जहां उसका पायलट बैठा होता है। मिराज 2000 सिंगल-सीटर या टू-सीटर मल्टीरोल फाइटर के रूप में उपलब्ध है। इस विमान के कॉकपिट में नियंत्रण के लिए थ्रोटल और स्टिक का प्रयोग किया जाता है। मिराज 2000 में थेल्स वीईएच 3020 हेड-अप डिस्प्ले और पांच कैथोड रे ट्यूब मल्टीफ़ंक्शन एडवांस्ड पायलट सिस्टम इंटरफ़ेस (एपीएसआई) डिस्प्ले लगे हुए हैं।

इसके कॉकपिट में लगी स्क्रीन में उड़ान नियंत्रण, नेविगेशन, लक्ष्य को साधने और हथियार फायरिंग से संबंधित डेटा प्रस्तुत करने की शानदार क्षमता है। सेंसर और सिस्टम प्रबंधन डेटा दो रंगीन डिस्प्ले पर दिखता है।

मिराज विमान

मिराज 2000 में हथियारों को ले जाने के लिए नौ हार्डपॉइंट दिए गए हैं। जिसमें पांच प्लेन के नीचे और दो दोनों तरफ के पंखों पर दिया गया है। सिंगल-सीट संस्करण भी दो आंतरिक हैवी फायरिंग करने वाली 30 मिमी बंदूखों से लैस है। हवा से हवा में मार करने वाले हथियारों में MICA मल्टीगेट एयर-टू-एयर इंटरसेप्ट और कॉम्बैट मिसाइलें शामिल है। इसके अलावा भी यह कई प्रकार के हथियार ले जाने में सक्षम है।

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