तीसरे चरण के चुनाव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा लगी है दांव पर!
यूपी चुनावों में 300 सीटें जीतने का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी के लिए तीसरे चरण का चुनाव नाक की लड़ाई बन गई है। इस चरण में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद और समाजवादियों का गढ़ कहे जाने वाले इटावा, मैनपुरी और आसपास की कुल 69 सीटों पर मतदान होने हैं।
फिलहाल यहां की 55 सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। लेकिन भाजपा ने समाजवाद के इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। बीजेपी इटावा को भेदने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। बीजेपी के लिए इटावा की सभी सीटें अहम इसलिए भी हैं क्योंकि यहां के आसपास की सीट पर सपा से बागी उम्मीदवार भी मैदान में हैं। लिहाजा, बीजेपी चाहती है कि वो सपा के राजनीतिक जयचंदों की मदद से समाजवादी गढ़ में घुसपैठ करे।
भाजपा मानती है कि अगर उसने सपा के गढ़ को जीत लिया तो इसके न केवल दूरगामी परिणाम होंगे बल्कि पार्टी का स्थिति भी अच्छी हो जाएगी। शायद यही वजह है कि बीजेपी इटावा की सभी विधानसभा सीटों पर ताकत झोंक देना चाहती है। दूसरी ओर अपने किले को बचाने के लिए अखिलेश भी तैयार हैं। वो अच्छी तरह से जानते हैं कि इस बार उनके लिए घर के अंदर और बाहर दोनों तरफ से मुश्किलें खड़ी हैं। शायद इसलिए वो इटावा और मैनपुरी में जमकर रैलियां कर रहे हैं। बता दें कि 2012 के विधानसभा चुनावों में इन 69 सीटों पर सपा का प्रदर्शन बेहतरीन रहा था और उसे कुल 55 सीटें मिली थीं। वहीं बसपा को 6, बीजेपी को 5 और कांग्रेस को 2 सीटें और एक सीट निर्दलीय को मिली थी।
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अखिलेश के लिए इस विधानसभा चुनाव में 2012 की 55 सीटों को बनाए रखना प्रतिष्ठा का सवाल है। खासतौर पर मैनपुरी, इटावा और कन्नौज, जो कि यादव परिवार का गढ़ माना जाता है। इटावा को लेकर अखिलेश यादव इसलिए गंभीर है क्योंकि वे यहां के मूल निवासी हैं। वहीं उनकी पत्नी कन्नौज से लोकसभा सीट से सांसद हैं। इसके अलावे उनके भाई तेज प्रताप यादव मैनपुरी से सांसद हैं।
अखिलेश ने इस बार इस इलाके के कई मौजूदा विधायकों का टिकट काट कर नए प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है। ऐसी ही एक सीट है इटावा सदर, यहां से सपा ने कुलदीप शंटू को टिकट दिया है। इन्हें सपा ने मौजूदा विधायक शिवपाल गुट के रघुराज शाक्य को ‘शंट’ करके टिकट दिया है और इनकी साइकिल के खिलाफ सपा के बागी आशीष राजपूत लोकदल का हल जोतता किसान लेकर कूद पड़े हैं। सूत्रों की मानें तो आशीष शिवपाल यादव के बेहद करीबी हैं और वह जीतने से ज़्यादा सपा को हराने के लिए मैदान में उतरे हैं। इसी तरह और भी कई सपा के बागी हैं जो टिकट न मिलने पर लोकदल या फिर निर्दलीय खड़े होकर सपा का खेल बिगाड़ रहे हैं।
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गौरतलब है कि तीसरे चरण के लिए 19 फरवरी (रविवार) को वोट डाले जाएंगे। इस क्षेत्र में प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित कानपुर का औद्योगिक इलाफा भी शामिल है। यह क्षेत्र एक अद्भुत नजारा पेश करता है। यहां शहरी और ग्रामीण विभाजन अधिक है। गांव आर्थिक तौर पर पिछड़े हुए हैं।