चंडीगढ़: जज भर्ती Exam की टॉपर अरेस्ट, रिक्रूटमेंट रजिस्ट्रार से किया था 760 बार कॉन्टैक्ट
चंडीगढ़: सिविल सर्विसेस ज्यूडिशियल ब्रांच पेपर (एचसीएस) लीक मामले में पुलिस ने एग्जाम में टॉपर रही सुनीता को दिल्ली के नजफगढ़ से अरेस्ट कर लिया। कोर्ट ने उसे 3 दिन की रिमांड पर भेजा है। पुलिस उससे मोबाइल फोन और हार्ड डिस्क रिकवर करना चाहती है, ताकि उसके खिलाफ ठोस सबूत मिल सके। पुलिस ने कोर्ट में बताया कि सुनीता को क्वेश्चन पेपर पहले ही मिल गया था, इसलिए वह टॉप कर पाई। हाईकोर्ट हरियाणा में जजों की भर्ती परीक्षा को पहले ही रद्द कर चुका है। इसमें हाईकोर्ट के ही रिक्रूटमेंट रजिस्ट्रार की भूमिका सामने रही है। रजिस्ट्रार से सुनीता का 760 बार कॉन्टैक्ट हुआ।
कोर्ट में अपनी पैरवी खुद ही करने लगी सुनीता
पुलिस: हमने सुनीता का जीएमएसएच-16 और दिल्ली में मेडिकल कराया। फिट करार दिए जाने के बाद ही हम इसे पेश करने के लिए कोर्ट लाए हैं।
सुनीता: सर, मैं कुछ बताना चाहती हूं। मेरा मेडिकल ठीक से नहीं हुआ। मुझे सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने मुझसे सिर्फ इंजरी मार्क पूछे और भेज दिया। मुझे पीठ की हड्डी में प्रॉब्लम है। मैं काफी समय से दर्द से परेशान हूं। मुझे इंजेक्शन नहीं दिया गया। मेरा दर्द बढ़ रहा है। जज ने सुनीता की बात सुनने के बाद पुलिस से पूछा कि रिमांड क्यों चाहिए?
पुलिस : हमें सुनीता से मोबाइल फोन और कुछ हार्डडिस्क रिकवर करनी हैं।
सुनीता :मैं तो काफी समय पहले फोन डिस्ट्रॉय कर चुकी हूं। मैंने इन्वेस्टिगेशन में भी सहयोग किया। मुझे गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया।
पुलिस : हमें कुछ क्लू मिले हैं। हमारे पास इसका मोबाइल फोन रिकॉर्ड भी है। सुनीता ने हमें चार पते दिए थे। लेकिन, समन रिसीव नहीं कर रही थी। वह इन्वेस्टिगेशन में शामिल नहीं हो रही थी। फिर अरेस्ट करना पड़ा।
सुनीता :सर, मैं दो बार इन्वेस्टिगेशन जॉइन कर चुकी हूं। मैं चंडीगढ़ में कई बार सुबह से लेकर रात तक रही। मेरी पीठ की हड्डी में प्रॉब्लम है। डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए कहा था, लेकिन इस मामले की वजह से मैं अपना ऑपरेशन भी नहीं करवा पाई। मैं तीन-चार घंटे से ज्यादा बैठ या खड़ी नहीं रह सकती। मैं अकेली रहती हूं। मेरे जो चार पते हैं, ये मेरी दो बहनों और भाई के हैं।
सुनीता का वकील : इन्वेस्टिगेशनजॉइन करने के बावजूद सुनीता को गलत अरेस्ट किया गया है। पुलिस जहां पर भी सुनीता को साथ लेकर रेड करे, वहां संबंधित थाने में डीडीआर दर्ज कराए, ताकि ऐसा हो कि तीन दिन पुलिस सुनीता को यहीं रखे और बाद में बोल दे कि यहां-यहां रेड की है।
सुनीता: सर, मैं कुछ बताना चाहती हूं। मेरा मेडिकल ठीक से नहीं हुआ। मुझे सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने मुझसे सिर्फ इंजरी मार्क पूछे और भेज दिया। मुझे पीठ की हड्डी में प्रॉब्लम है। मैं काफी समय से दर्द से परेशान हूं। मुझे इंजेक्शन नहीं दिया गया। मेरा दर्द बढ़ रहा है। जज ने सुनीता की बात सुनने के बाद पुलिस से पूछा कि रिमांड क्यों चाहिए?
पुलिस : हमें सुनीता से मोबाइल फोन और कुछ हार्डडिस्क रिकवर करनी हैं।
सुनीता :मैं तो काफी समय पहले फोन डिस्ट्रॉय कर चुकी हूं। मैंने इन्वेस्टिगेशन में भी सहयोग किया। मुझे गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया।
पुलिस : हमें कुछ क्लू मिले हैं। हमारे पास इसका मोबाइल फोन रिकॉर्ड भी है। सुनीता ने हमें चार पते दिए थे। लेकिन, समन रिसीव नहीं कर रही थी। वह इन्वेस्टिगेशन में शामिल नहीं हो रही थी। फिर अरेस्ट करना पड़ा।
सुनीता :सर, मैं दो बार इन्वेस्टिगेशन जॉइन कर चुकी हूं। मैं चंडीगढ़ में कई बार सुबह से लेकर रात तक रही। मेरी पीठ की हड्डी में प्रॉब्लम है। डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए कहा था, लेकिन इस मामले की वजह से मैं अपना ऑपरेशन भी नहीं करवा पाई। मैं तीन-चार घंटे से ज्यादा बैठ या खड़ी नहीं रह सकती। मैं अकेली रहती हूं। मेरे जो चार पते हैं, ये मेरी दो बहनों और भाई के हैं।
सुनीता का वकील : इन्वेस्टिगेशनजॉइन करने के बावजूद सुनीता को गलत अरेस्ट किया गया है। पुलिस जहां पर भी सुनीता को साथ लेकर रेड करे, वहां संबंधित थाने में डीडीआर दर्ज कराए, ताकि ऐसा हो कि तीन दिन पुलिस सुनीता को यहीं रखे और बाद में बोल दे कि यहां-यहां रेड की है।
– इसके बाद जज ने तीन दिन की पुलिस रिमांड देते हुए कहा, ‘अगर सुनीता को इलाज की जरूरत हो तो उसे तुरंत मुहैया कराया जाए। ऑर्थोपेडिक के बड़े डॉक्टरों से भी बात की जाए।’
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ऐसे हुआ था खुलासा
– पिंजौर की वकील सुमन ने हाईकोर्ट में पिटीशन दायर कर कहा था कि पेपर डेढ़ करोड़ में बिक रहा है। उसे भी पेशकश की गई थी।
– सुमन ने सुशीला नाम की एक लड़की से लेक्चर की ऑडियो क्लिप मंगाई थी, लेकिन उसने गलती से सुनीता से अपनी बातचीत की ऑडियो क्लिप सेंड कर दी। जिसमें पेपर में आने वाले प्रश्नों पर हुई बातचीत रिकॉर्ड थी।
– पिटीशन पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपने लेवल पर जांच शुरू की, जिसमें सामने आया कि हाईकोर्ट के ही रिक्रूटमेंट रजिस्ट्रार डॉ. बलविंदर शर्मा के मोबाइल फोन से सुनीता के फोन पर सालभर में 760 बार कॉन्टैक्ट हुआ था। बाद में सुनीता ही एक्जाम में टॉपर रही।
– सुशीला नाम की दूसरी लड़की रिजर्व कैटेगरी की टॉपर बनी। हालांकि, बाद में कोर्ट ने परीक्षा ही रद्द कर दी।