घूमने के साथ ही नॉलेज के लिए इन 5 हिस्टोरिकल जगहों का सफर रहेगा अच्छा

pills_11_24_09_2015हेल्थकेयर सेक्टर के डिजिटलाइजेशन का प्रभाव दवाई निर्माता कंपनियों पर भी होने लगा है। अनेक बढ़ी कंपनियां ई-डिटेलिंग ऑप्शंस को आजमा रही हैं। ये ऑनलाइन मीटिंग रूम्स के जरिये डॉक्टरों के सामने अपने उत्पादों का प्रेजेंटेशन दे रही हैं। मगर एक सच यह भी है कि कई अन्य कंपनियां अपने फील्ड फोर्स से किसी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहतीं। इसलिए समय-समय पर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स को हायर किया जाता है। अगर आपकी भी दिलचस्पी मेडिसिन वर्ल्ड में है, तो बतौर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव करियर बना सकते हैं।

वर्क प्रोफाइल

एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव फार्मास्युटिकल कंपनीज और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के बीच की कड़ी होता है। वह उत्पादों को खास रणनीति के साथ बाजार में प्रमोट करता है। मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव वन-टू-वन के अलावा ग्रुप इवेंट्स आयोजित कर दवाइयों के प्रति जागरूकता फैलाते हैं। फार्मास्युटिकल कंपनियां मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स को नियुक्त करती हैं ताकि वे डॉक्टरों तथा ग्राहकों को अपने उत्पादों की उपयोगिता के प्रति राजी कर सकें। इस प्रकार मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव दवाइयों की मार्केटिंग में अहम भूमिका निभाता है।

ट्रेनिंग

अलग-अलग दवा कंपनियां अपने यहां नियुक्ति के बाद उम्मीदवारों को स्पेशल स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग देती हैं। उन्हें एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, फार्माकोलॉजी, सेल्समैनशिप आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही डॉक्टरों की प्रोफाइल, उत्पादों का ज्ञान और फील्ड ट्रेनिंग भी दी जाती है, जिसमें सेलिंग टेक्निक्स बताई जाती हैं। फील्ड ट्रेनिंग के दौरान फ्रैश ग्रेजुएट्स को किसी सीनियर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के अंडर में काम करना होता है।

बेसिक स्किल्स

मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव बनने के लिए आपके पास मेडिकल फील्ड, मैनेजमेंट और मेडिसिन की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। आपको मानव शरीर और दवा में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक तत्वों की भी जानकारी रखनी होगी। इसके अलावा कम्युनिकेशन स्किल, त्वरित निर्णय क्षमता, लचीलापन और कम से कम दो भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए। मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स को नर्सों तथा अस्पतालों के प्रबंधन अधिकारियों के साथ नेटवर्क बनाना होता है। यहां काम की कोई निश्चित अवधि नहीं होती है। आपको इसके लिए पहले से तैयार रहना होगा। प्रत्येक डॉक्टर के साथ कैसा रवैया रखना है, इसका ध्यान भी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव को रखना होता है।

शैक्षणिक योग्यता

फार्मा बिजनेस मैनेजमेंट में बीबीए या एमबीए, फार्मास्युटिकल एंड हैल्थकेयर मार्केटिंग में पीजी डिप्लोमा, फार्मा मार्केटिंग में डिप्लोमा या पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा कोर्स करने के बाद आप इस फील्ड में करियर बना सकते हैं। इसके अलावा सेलिंग और मार्केटिंग की स्किल रखने वाले साइंस ग्रेजुएट्स भी इसमें प्रवेश कर सकते हैं। आज कई संस्थानों में इससे संबंधित कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। कुछ संस्थानों में फार्मा बिजनेस मार्केटिंग के कोर्स भी शुरू हो चुके हैं। डिप्लोमा कोर्स करने के लिए आपको साइंस के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। पीजी डिप्लोमा में प्रवेश के लिए आपके पास न्यूनतम बीएससी या बीफार्मा की डिग्री होनी चाहिए। 12वीं (मैथ्स और बायोलॉजी) के बाद बीबीए (फार्मा बिजनेस) में दाखिला लिया जा सकता है।

टारगेट बेस्ड प्रमोशन

सेल्स परफॉर्मेंस और ग्राहकों को मैनेज करने का हुनर रखने वाले मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव फार्मास्युटिकल मार्केटिंग में शानदार करियर बना सकते हैं। जो लोग कंपनी के टारगेट को समय-समय पर हासिल करते चलते हैं, उन्हें प्रमोशन मिलने में देर नहीं लगती। आप एरिया मैनेजर, रीजनल या जोनल मैनेजर, डिविजनल सेल्स मैनेजर, डिविजनल कंट्रोलर, डिप्टी मार्केटिंग मैनेजर और मार्केटिंग मैनेजर के पद तक पहुंच सकते हैं। मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के अलावा मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव, प्रोडक्ट एग्जीक्यूटिव, बिजनेस एग्जीक्यूटिव की भूमिका में भी काम करने के पूरे अवसर हैं। एमबीए या फार्मेसी की डिग्री रखने वाले एरिया मैनेजर, सर्किल मैनेजर, प्रोडक्ट मैनेजर, ग्रुप प्रोडक्ट मैनेजर, क्वॉलिटी कंट्रोल मैनेजर, ब्रांड मैनेजर या मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में दवाई कंपनियों से जुड़ सकते हैं।

संभावनाएं अपार

भारत का फार्मा सेक्टर 13-14 प्रतिशत सालाना की दर से विकास कर रहा है। यहां का दवाई बाजार भी व्यवसायिक रूप से काफी आगे बढ़ रहा है। एफडीआई के बाद से इसमें और विस्तार होने की उम्मीद की जा रही है। कई विदेशी कंपनियां अपने उत्पाद का पेटेंट कराकर भारत में कारोबार करने आ रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, 2020 तक यहां करीब एक लाख नई नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है।

सैलरी पैकेज

इस फील्ड में शुरूआती वेतन 10 से 20 हजार रुपए तक हो सकता है। कुछ अनुभव हासिल करने के बाद 30 से 40 हजार रुपए प्रति माह आसानी से हासिल किए जा सकते हैं। बेहतर प्रदर्शन के आध्ाार पर कई तरह की सुविधाएं भी दी जाती हैं। सेल्स टारगेट अचीव करने वालों को कई बार ब्रांड मैनेजमेंट जैसी जिम्मेदारी भी सौंप दी जाती है। इससे आपकी आमदनी बढ़ने के साथ-साथ बाजार में आपकी एक अलग पहचान भी बनती है।

 
 
 

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