गणतंत्र दिवस की झड़प के बाद राजगढ़ में मुस्लिम विक्रेताओं पर लगा प्रतिबंध

मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में पुलिस को कई गांवों से लेटर भेजे गए हैं। जिनमें लिखा है कि कोई भी मुस्लिम विक्रेता गांव में प्रवेश न करे। अगर वह ऐसा करता है तो हम जिम्मेदार नहीं होंगे।गणतंत्र दिवस की झड़प के बाद राजगढ़ में मुस्लिम विक्रेताओं पर लगा प्रतिबंध

गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई सांप्रदायिक झड़प के बाद जिले में तनाव बढ़ गया है । ये झड़प खुजनेर शहर में गणतंत्र दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी। एक समूह का कहना है कि झड़प इसलिए हुई थी क्योंकि सम्मेलन में शामिल कुछ लोगों ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। वहीं दूसरे समूह का कहना है कि ये लड़ाई दो लोगों के बीच पुराने विवाद को लेकर हुई।

क्या है मामला?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक खुजनेर में आयोजित समारोह में स्कूली बच्चे भी शमिल थे। बच्चे गदर फिल्म के एक गाने पर डांस कर रहे थे, तभी कुछ उपद्रवियों ने देश विरोधी नारे लगाना शुरू कर दिया। इसके बाद विवाद बढ़ता गया और कार्यक्रम स्थल पर भगदड़ मच गई।

कार्यक्रम में शामिल उपद्रवियों ने कुर्सियों की तोड़फोड़ की। इसके बाद एक विशेष संप्रदाय के लोग हथियार लेकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए और डांस कर रहे बच्चों पर भी हमला कर दिया। कई बच्चे इस दौरान घायल हो गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने हालात नियंत्रण में किए। जिसके बाद पुलिस ने धारा 144 भी लागू कर दी।

पुलिस ने 16 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें दोनों पक्षों के लोग शामिल हैं। इनपर दंगा भड़काने का आरोप है। पुलिस ने मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके नाम हैं, समद खान, साकिर खान, अकबर खान, जाकिर खान, इम्तियाज खान और समीर खान। भाजपा नेताओं द्वारा सोमवार को सौंपे गए ज्ञापन के बाद इनपर राजद्रोह के तहत मामला दर्ज हुआ है। बाद में समीर खान को जमानत मिल गई।

क्या कहा शिवराज ने?
घटना के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई ट्वीट किए। उन्होंने जिले के खुजनेर में गणतंत्र दिवस पर हिंसा के शिकार हुए बच्चों से मुलाकात की। उन्होंने इस घटना पर विरोध जताते हुए कहा कि यह मध्यप्रदेश की संस्कृति नहीं है। ऐसी अराजकता को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चौहान ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की भी मांग की।

शिवराज ने कहा, “हम सभी वर्गों का सम्मान करते हैं लेकिन गणतंत्र दिवस पर घटित यह घटना दिल दहला देने वाली है, सहन करने लायक नहीं है। इस घटना के पीछे कौन लोग हैं, कौन अशांति का वातावरण फैलाना चाहते हैं, आतंक का पर्याय बनकर समाज को कौन डरकर जीने पर मजबूर करना चाहते हैं, इसकी गहन जांच होना जरूरी है।”

यहां अभी भी तनाव का माहौल बना हुआ है। भीलखेड़ी गांव के लोगों का कहना है, “मुस्लिमों को हमारे गांव नहीं आना चाहिए। हम उनकी सुरक्षा का वादा नहीं करते। हमारे बच्चे उस दिन की घटना के बाद से डरे हुए हैं और स्कूल जाने से भी मना कर रहे हैं।”

एक नेता अजीज मौला का कहना है, “मुस्लिमों को फंसाया जा रहा है। मुस्लिमों के हथियार रखने के दावे का बावजूद न तो किसी ने कोई सबूत पेश किया और न ही वीडियो और फोटो। हमारे बच्चे भी कार्यक्रम में शामिल हुए थे और बाकियों की तरह डरे हुए हैं। हमारे पास ऐसी रिपोर्ट आई हैं कि मुस्लिम विक्रेताओं को कई गांवों से वापस भेजा जा रहा है।”

खुजनेर पुलिस का कहना है कि उन्हें ऐसे कई लेटर मिल रहे हैं। सभी को कहीं भी काम करने का अधिकार है, संविधान में इस तरह के प्रतिबंधों को मंजूरी नहीं दी गई है। कोई भी किसी को कोई बिजनेस करने से रोक नहीं सकता। साथ ही धर्म के आधार पर किसी को कहीं प्रवेश करने से भी रोका नहीं जा सकता।

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