खुद के अस्तित्व को पहचानें, होने लगेंगे चमत्कार!

दिमाग से दिमाग को समझा जाता है और दिल से दिल को समझा जाता है. नाक केवल सूंघ ही सकती है, आंखें केवल देख ही सकती हैं, कान केवल सुन ही सकता है, कान देख नहीं सकता. इसी तरह दिल महसूस कर लेता है.

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खुद के अस्तित्व को पहचानें, होने लगेंगे चमत्कार!

हम दिमाग में दिल लगाने की और दिल में दिमाग को डालने की कोशिश करते हैं, जिससे कुछ नहीं हो पाता. दिल सुंदरता को महसूस कर लेता है, जबकि दिमाग केवल कहता है कि यह सुंदर है.

हम मन में सुंदर शब्द को केवल पकड़ लेते हैं किंतु उसे महसूस नहीं कर पाते. हम केवल ‘सुंदर’ शब्द को दोहरा रहे होते हैं. सिर में सुंदर शब्द को दोहराने से सुंदरता महसूस नहीं होती है. प्रेम में भी यही बात है. तुम प्रेम में कुछ ज्यादा ही बोल जाते हो और दिमाग के स्तर में ही अटके रहते हो और दिल में कुछ होता हीन हीं है.

मौन में प्रेम बरसता है, उसका विकरण होता है. अपनी प्रिय वस्तु या लोगों के साथ हमें अपने स्वरूप का अनुभव होता है. यही कारण है कि जब हम अपनी किसी प्रिय चीज को खोते हैं तब हमें दुख होता है और दर्द महसूस होता है.

मान लो कि तुम्हें अपने पियानो से प्यार है और तुम्हें यह सुनने को मिले कि तुम्हारे पियानो को कुछ हो गया, तो तुम्हारे अंदर से कुछ कट जाता है. या अगर तुम्हारी गाड़ी या तुम्हारे कुत्ते को कुछ हो गया, तो तुम्हें लगता है कि कुछ खो गया है.

तुम केवल अपने शरीर से ही नहीं जुड़े हुए हो, बल्कि वहां भी तुमने अपना घर बसा लिया है. यदि हम अपने अस्तित्व का इतना अधिक विस्तार कर लें जिसमें पूर्ण सृष्टि समा जाए तब हमें कुछ भी खोने का अहसास नहीं होगा और हम जान लेंगे कि हम संपूर्ण हैं.

आप एक नीले मोती हैं. नीला रंग सुंदर है. नीला वह है जो बड़ा है. विशाल है और अनंत है. वह सब जो कि विशाल है, जो इस रचना में अनंत है, जिसमें गहराई है, वह नीले से अभिव्यक्त करा जाता है. आकाश नीला है, समुद्र नीला है.

आप एक नीली मोती हैं, इस अर्थ में कि आपको मापा नहीं जा सकता है. आपका अस्तित्व बहुत गहरा है. यद्यपि आप इस शरीर में हैं, आपके अस्तित्व को कोई भी नाप नहीं सकता. आपका अस्तित्व केवल एक अनंत खाली नीले आकाश जैसा नहीं बल्कि वह एक चमकीली आभायुक्त अनन्तता है जो गहरी है और विशाल है.

नीला मोती यानि वह जो चमकता है, जो आभायुक्त है, जो कि अनंत है फिर भी वह परिमित और संपूर्ण लगता है. जब हम अपने दिल को सुनना शुरू करते हैं, तब हमें बोध हो जाता है कि सब कुछ एक है व एक ही ईश्वर सब में है. हमारे शरीर में कितनी सारी कोशिकाएं हैं और प्रत्येक कोशिका स्वयं में जीवंत है.

कई कोशिकाएं हर दिन पैदा हो रही हैं, और कई कोशिकाएं मर रही हैं, लेकिन उनको तुम्हारे बारे में पता नहीं है. फिर भी किसी कोशिका विशेष में अगर कुछ गड़बड़ी होती है तो तुम उसे महसूस कर लेते हो.

उसी प्रकार, हालांकि हम सभी का जीवन बहुत छोटा है, फिर भी एक ऐसी चेतना विद्यमान है जिसका राज अन्य सभी जीवन पर है. हम सब जीवन के सागर में तैर रहे हैं, एक बहुत बड़े जीवनसागर में.

मैं सभी रूपों में देखता हूं अपना स्वरूप: हमारे चारों ओर केवल खाली आकाश नहीं है. यहां एक जीवंत और बड़ा जीवन है. और जीवन के इस विशाल समुद्र में सभी घड़े तैर रहे हैं, और सभी घड़ों में थोड़ा पानी भी है. घड़े का पानी समुद्र के पानी से अलग नहीं है.

तो, हम अपने घरों से बाहर निकलकर अनुभव करते हैं कि मैं केवल शरीर में नहीं हूं, लेकिन मेरा अस्तित्व चारों ओर फैला हुआ है. मैं सभी रूपों में अपने स्वरूप को देखता हूं. यही जीवन का सार है!

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