तो क्या द्रोपदी की थी इच्छा, श्रीकृष्ण से हो उनका विवाह!

द्रोपदी के पिता द्रुपद, द्रोणाचार्य से नफरत करते थे और नफरत के इन्हीं भावों को द्रोपदी के मन में भी बचपन से ही कूट कूटकर भर दिया गया था।वह बदले की आग में जल रही थीं और मन ही मन ऐसी तरकीबें सोचती रहती, जिससे अपने पिता के अपमान का बदला द्रोणाचार्य से ले सकें, लेकिन द्रोणाचार्य तो हस्तिनापुर राज्य के संरक्षण में थे।
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द्रोणाचार्य को नीचा दिखाने के लिए उन्हें एक शक्तिशाली गठबंधन की आवश्यकता थी। इसी मकसद से उन्होंने योजना बनाई कि राजा जरासंध से द्रोपदी का विवाह करा दिया जाए।
द्रोपदी जब विवाह योग्य हुईं, तो उनके स्वयंवर का आयोजन किया गया। उधर, श्री कृष्ण की अपनी अलग योजना थी। वह आए और द्रुपद के साथ तकरीबन तीन महीने तक रुके।
महाभारत में उल्लेखित है कृष्ण जरासंध के पास भी गए और उसे समझाया आप 75 साल के हो चुके हैं, जबकि कन्या की उम्र महज 18 साल है। अगर आप स्वयंवर जीत भी गए तो आप हंसी के पात्र बन जाएंगे।
इस दौरान द्रोपदी उनके काफी नजदीक आ गईं और उनसे विवाह की इच्छा जाहिर की। श्री कृष्ण ने कहा कि वह सिर्फ ऐसी स्त्री से ही विवाह करेंगे, जो उनके लक्ष्य के प्रति पूरी तरह समर्पित होगी यानी धर्म की स्थापना के कार्य में उनका पूरी तरह से साथ देगी।
उसकी कोई भी सैन्य या राजनीतिक मंशा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने द्रोपदी को खुश करने के लिए यह भी कहा कि तुम इतनी अधिक महान स्त्री हो जिसके योग्य मैं नहीं हूं।