कोई नहीं जानता होगा अंडरवियर का ये इतिहास, ऐसे शुरू हुई थी पहनने की परंपरा

हर इंसान को अच्छा और आकर्षक दिखने का शौक होता है और प्रत्येक इंसान को आकर्षक बनाने में कपड़े अहम रोल निभाते हैं। आपके ऊपरी कपड़े ही आपके आकर्षक का केंद्र नही होते बल्कि कपड़ों के नीचे पहने जाने वाले अंतर्वस्त्रों का भी आपको आकर्षक बनाने में काफ़ी रोल होता है। कहते है ना कि जब तक चड्डी में 100 से ज़्यादा छेद ना दिखे तब तक नया नही खरीदते। अंडरवियर तो लगभग सभी पहनते हैं…आप भी पहनते होंगे, लेकिन क्या आप अंडरवियर के इतिहास के बारे में जानते हैं। जी हां, जैसे आप आज के समय में अंडरवियर पहनते हैं ठीक वैसे ही आज से 7 हजार साल पहले भी लोग अंतर्वर्स्त्रों का इस्तेमाल करते थे।

7 हजार साल पहले शुरू हुई थी अंडरवियर पहनने की परंपरा, जानिए पूरा इतिहास। अंडरवियर के इतिहास की शुरुआत तब से है जब ये चमड़े का बना हुआ एक पट्टा होता था, जिसे टांगों से निकाल कर पीछे बांध दिया जाता था। इसको लोग इसलिए पहनते थे ताकि भागने में कोई परेशानी ना हो। तेरहवीं शताब्दी में ढके हुए और ढीले-ढाले अंडरवियर बाजार में आए। पर जिस तरह के कपड़ों से इन्हें बनाया जाता था, वो आरामदायक नहीं थे, जिसकी वजह से खुजली और कई तरह की समस्याएं होने लगी।

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पुनर्जागरण काल के बाद विशेष तरह के अंडरवियर बाज़ार में आने लगे। ये सूती होते थे और देखने में आरामदायक भी लगते थे। इनमें से सबसे ज़्यादा पसंद किये जाने वाले अंडरवियर वो थे, जिनकी लम्बाई घुटनों तक होती थी।

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