कहीं शिव के गिरे आंसू तो कहीं सती का सिर, जानें इस चमत्कारी मंदिरों का रहस्य

विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म को मानने वाले न सिफ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। एक समय जब भारत पाकस्तान का हिस्सा था, उस समय पाकिस्तान में हजारों ऐतिहासिक मंदिर थे और यहां की आर्यों की भूमि मानी जाती थी। हिंदुस्तान से अलग होने के बाद पाकिस्तान में अनेको मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया या फिर उपेक्षित छोड़ दिया गया। लेकिन आज भी पाकिस्तान की सरजमीन पर सनातन परंपरा से जुड़े कई हिंदू मंदिर हैं, जिनका पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है।कहीं शिव के गिरे आंसू तो कहीं सती का सिर, जानें इस चमत्कारी मंदिरों का रहस्य

हिंगलाज माता मंदिर

पाकिस्तान में जब हम हिंदू मंदिरों की बात करते हैं तो सबसे पहला नाम उस शक्तिपीठ का आता है जो पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान में स्थित है। आद्याशक्ति के इस मंदिर को हिंगलाज माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस पावन शक्तिपीठ की देखरेख हिंदू समुदाय के साथ मुस्लिम भी करते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग इसे चमत्कारिक स्थान मानते हैं। 51 शक्तिपीठों में से एक हिंगलाज माता की मंदिर यात्रा के दौरान कुछ-कुछ वैष्णों माता के मंदिर की यात्रा का आभाास होता है, क्योंकि यह मंदिर भी दुर्गम रास्तों से होते हुए उंची पहाड़ियों पर गुफा में स्थित है।

यह मंदिर हिंगला नदी के किनारे सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है। यहां माता हिंगलाज एक गुफा में स्थित मंदिर में विराजमान हैं। इसके पौराणिक इतिहास पर नजर डालें तो 2000 साल पहले भी इसके यहां पर मौजूद होने का उल्लेख मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के चक्र से कटकर यहां पर देवी सती का सिर गिरा था। इसलिए यह स्थान चमत्कारी और दिव्य माना जाता है। पाकिस्तान में मुसलमान देवी हिंगलाज को नानी का मंदिर और नानी का हज भी कहते हैं। इस स्थान पर आकर हिंदू और मुसलमान का भेदभाव मिट जाता है। दोनों ही समुदाय के लोग यहां भक्तिपूर्वक माता की पूजा करते हैं।

इस तरह बचे थे क्षत्रियों के प्राण
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जो व्यक्ति एक बार माता हिंगलाज के दर्शन कर लेता है, उसे पूर्वजन्म के कर्मों का दंड नहीं भुगतना पड़ता है। मान्यता है कि परशुराम जी द्वारा 21 बार क्षत्रियों का अंत किए जाने के प्रण से बचने के लिए कुछ क्षत्रियों ने माता हिंगलाज से अपनी जान की रक्षा की गुहार लगाई थी। जिसके बाद माता हिंगलाज ने क्षत्रियों को ब्रह्मक्षत्रिय बना दिया। तब कहीं जाकर उन्हें परशुराम से अभय दान मिल पाया।

कराची का हनुमान मंदिर

पाकिस्तान के कराची स्थित हनुमान मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पर विराजमान हनुमान जी पिछले 17 लाख वर्षों से अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते चले आ रहे हैं। मान्यता यह भी है कि हनुमान जी को सच्चे मन से मानने वाला व्यक्ति यहां से कभी खाली हाथ वापस नहीं जाता है। मंगलवार और शनिवार के दिन इस हनुमान मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर की महिमा को इस प्रकार भी जाना जा सकता है कि न सिर्फ पाकिस्तानी हिंदू बल्कि भारत से भी श्रद्धालु इस मंदिर में बजरंगबली के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। संकटमोचक श्री हनुमान जी के इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां बालाजी की प्रतिमा जमीन से प्रकट हुई थी।

कटासराज मंदिर

हनुमान मंदिर की तरह पाकिस्तान का प्राचीन शिव मंदिर भी देश-दुनिया में बसे तमाम हिंदुओं की आस्था का मुख्य केंद्र है। पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के चकवाल जिले में स्थित मंदिर का निर्माण छठी शताब्दी से नवीं शताब्दी के मध्य माना जाता है। भगवान शिव का यह पौराणिक मंदिर पाकिस्तान के चकवाल गांव से तकरीबन 40 कि.मी. की दूरी पर कटस नाम की एक पहाड़ी पर स्थित है। माना जाता है कि महाभारत काल में यक्ष और युद्धिष्ठिर की बीच यहीं पर संवाद हुआ था।

कटासराज मंदिर के कुंड के बारे में मान्यता है कि यह भगवान शिव के आंसुओं से बना है। जो कभी सती की मृत्यु के बाद दु:खी भगवान शिव के आंसुओं से भरा था। यहां पर आने वाला श्रद्धालु इस पावन कुंड में तन और मन के सुख की कामना करता हुआ यहां पर एक बार जरूर स्नान करता है।

माता गौरी का मंदिर

पाकिस्तान के शक्तिपीठ में माता गौरी का मंदिर हिंदुओं की आस्था का तीसरा बड़ा तीर्थ स्थान है। यह मंदिर सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में स्थित है। मुस्लिम बाहुल्य वाले इस इलाके में अधिकतर हिंदू आदिवासी हैं। जिन्हें पाकिस्तान में थारी हिंदू कहकर संबोधित किया जाता है। इस मंदिर के पास चमत्कारी कुंआ है। जिसके बारे में मानना है कि मां गौरी के आर्शीवाद से यह कभी नहीं सूखता है।

मुल्तान का नरसिंह मंदिर

वैष्णव परंपरा के साधकों के लिए पाकिस्तान का नरसिंह मंदिर एक बड़ा तीर्थ स्थान है। मान्यता है कि हिरण्यकश्यप का संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने इसी जगह नरसिंह के स्वरूप में प्रकट हुए थे और हिरण्यकश्यप का संहार किया था। ‘मुल्तान’ शब्द का अर्थ है ‘मूल-स्थान’। यानी वह पावन स्थान जहां पर स्वयं भगवान विष्णु ने नरसिंह के रूप में प्रकट हो पहली बार दर्शन दिया था।

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