कश्मीर घाटी में बन रहा दुनिया का सबसे ऊंचा पुल, खासियत ऐसी जिसे जानकर दुनिया हुई हैरान

कश्मीर घाटी तक रेल से यात्रा करने का पर्यटकों का सपना अब जल्द ही सच होने जा रहा है. रेलवे ने घाटी तक रेल पहुंचाने के रास्ते में आ रही सारी बाधओं को पार कर कटरा माता वैष्णो और बनिहाल के बीच बनने वाले चिनाब पुल के काम में तेजी लाई है. कश्मीर घाटी को देश के दूसरे हिस्सों से रेल मार्ग से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को एक भरोसेमंद और छोटा रास्ता देने के लिए उधमपुर श्रीनगर बारामुला रेल लिंक परियोजना के काम में लिबरल फंडिंग कर काम में रफ्तार ला दी है.

उधमपुर से बारामुला तक 272 किलोमीटर लंबी रेल परियोजना को तीन खंडों में बांट कर काम शुरू हुआ कर दिया है. जिसके 2 खंड 1 उधमपुर कटरा और तीसरा काजीगुंड बारामुला पर काम पूरा कर रेल दौड़ाने का काम शुरू हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2014 में कटरा माता वैष्णो से दिल्ली तक ट्रेन को को हरी झंडी दिखा कर कटरा उधमपुर रेल खंड का उद्घाटन किया था.

इस बीच USBRL उधमपुर श्रीनगर बारामुला रेल लिंक के तीसरे और अंतिम चरण 129 किलोमीटर लंबा कटरा से काजीगुंड का काम इलाके की वजह से लंबा खींचता गया. रेलवे ने इस बीच पीरपंजाल पहाड़ियों को काट कर 11 किलोमीटर लंबी सुरंग बना कर जम्मू के बनिहाल और काजीगुंड को आपस में जोड़ कर तीसरे खंड की दूरी को 129 किलोमीटर से कम कर 111 किलोमीटर तक ला दिया है.

तीसरे और अंतिम चरण के  111 किलोमीटर रेल लिंक को पूरा करने के लिए इलाके की भौगोलिक परिस्थितियां, नदियां, नाले, पहाड़ इन सब बाधाओं को रेलवे ने पार पा लिया. कटरा और बनिहाल के बीच 111 किलोमीटर रेल लिंक की कठिनाइयां इसी बात से जाहिर हो जाती है कि इस 111 किलोमीटर मार्ग के रास्ते में 27 टनल और 37 पुलों का निर्माण रेलवे कर रही है.

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इस रास्ते पर सबसे लंबी टनल 12.75 किलोमीटर है जबकि 359 मीटर ऊंचा दुनिया का सबसे ऊंचा पुल भी इसी रेल सेक्शन पर है. देश के ताज जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी पर ‘चिनाब रेलवे ब्रिज’ बनाया जा रहा है. जोकि रियासी जिले के अंतर्गत आते कोड़ी और बक्कल के दरमियान तैयार हो रहा है जिसकी ऊंचाई 359 मीटर यानी 1,178 फीट की ऊंचाई है.

जो की एफिल टावर से भी 35 मीटर से भी ऊंचा है. रेलवे अधिकारियों का दावा है कि 2021 में पुल बनकर तैयार हो जाएगा. इस ब्रिज को बनाने की योजना के साथ ही यह चर्चा में आ गया है. खासकर यह रेलवे पुल अपने डिजाइन के कारण लोगों में उत्‍सुकता पैदा करता है. पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का हिस्सा है.

दुर्गम क्षेत्र में करीब 1200 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे इस पुल में 24000 टन स्टील का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके बनाने में इस्तेमाल होने वाले पियर पुल पर बनाई गई वर्क शॉप में बनाए जा रहे है. ब्रिज की लंबाई 1315 मीटर होगी. 1200 करोड़ रुपये की लागत से चिनाब नदी पर इस ब्रिज को तैयार किया जा रहा है.

यह एफिल टावर से 35 मीटर अध‍िक ऊंचा होगा.यह पुल कटरा और बनिहाल के बीच 111 किमी रास्ते को जोड़ेगा. पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का हिस्सा है.  इस पुल को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा को भी झेल सकेगा.

रेलवे के 150 साल के इतिहास में ये पहला ऐसा पुल है जिसके 915 mtr span में cable क्रैन  technology    इस्तेमाल की गई है,इतने लंबे span पर केबल क्रेन तकनीक दुनिया मे कही भी इस्तेमाल नहीं की गई है. यह पुल बेइपैन नदी पर बने चीन के शुईबाई रेलवे पुल (275 मीटर) का रिकार्ड तोड़ देगा.

इस प्रोजेक्ट का काम  2003-2004  में शुरू हुआ था. जो कई कारणों से बंद और शुरू होता रहा. साल 2010 में पुल का काम फिर से शुरू किया गया. जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने राष्‍ट्रीय परियोजना घोषित कर काम में तेजी लाने के निर्देश जारी किए है. इस पुल का निर्माण 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा.

रेलवे को इतनी ऊंचाई पर पुल का निर्माण करने में कई तरह की दिक्कतें भी आ रही हैं. खासकर मौसम की मार का सामना करना सबसे बड़ी समस्‍या है. हिमालयन रेंज के कारण यहां मौसम कभी भी बदल जाता है. पुल के आस-पास सैकड़ो किलोमीटर सड़क का निर्माण भी रेलवे ने ही किया है.जो कश्मीर घाटी का वैकलिपक मार्ग होगा.

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