कब्रिस्तान में चारपाई बिछाकर सो गए यह IAS अफसर

चेन्नई। इन दिनों सोशल मीडिया पर तमिलनाडु के एक सीनियर आईएएस अधिकारी की तस्वीर खूब सुर्खियां बटोर रही है। इस तस्वीर में जो आईएएस अधिकारी हैं उनका नाम यू सगायम हैं। तस्वीर में यह कब्रिस्तान के अंदर एक खाट पर सोये हुए नजर आ रहे हैं। आप भी सोच में पड़ गए होंगे कि आखिर माजरा क्या है। एक आईएएस अफसर भला कब्रिस्तान में खाट पर क्यों सोयेगा। बात ये है कि सगायम 16 हजार करोड़ के ग्रेनाइट घोटाले की जांच कर रहे हैं जिसके सबूतों की सुरक्षा करने के लिए उन्होंने ऐसा किया।
कब्रिस्तान में हैं कई अहम सबूत
यू सगायम को मद्रास हाईकोर्ट ने करोड़ों रूपये के ग्रेनाइट घोटाले में लीगल कमिश्नर नियुक्त किया है। इस घोटाले को लेकर कई अहम सबूत कब्रिस्तान में हैं। करोड़ों रूपये के ग्रेनाइट घोटाले में कब्र में दफनाए गए शवों को फिर से जांच के लिए बाहर निकालना था। जिसको लेकर यह डर है कि ये सबूत मिटा दिए जाएंगे। इस मामले की जांच के लिए सगायम ने एक नर कंकाल निकालने में पुलिस की मदद मांगी थी। लेकिन पुलिस की तरफ से पूरी हामी नहीं मिली तो सगायम ने सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका के मद्देनजर कब्रिस्तान में ही रात गुजारने का फैसला किया।
ट्विटर पर छाया (#standwithsagayam)
इस तस्वीर के वायरल होते ही सगायम ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे। #standwithsagayam हैशटैग 13 सितंबर से ही ट्रेंड कर रहा है, जिसमें लोग लगातार उनको समर्थन दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी जबर्दस्त प्रशंसा हो रही है। साथ ही कुछ लोगों ने तो उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने तक की मांग कर डाली है।
क्या है ग्रेनाइट मामला
1999 के इस मामले में एक ग्रेनाइट कारोबारी पर 12 लोगों को बलि चढ़ाने का आरोप है। एक ग्रेनाइट कारोबारी पलानिस्वामी ने अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए 12 लोगों की बलि चढ़ा दी। सगायम को मामले में लीगल कमिश्रर नियुक्त किया गया है। पुलिस ने बताया कि जांच में अब तक चार नर कंकाल निकाले जा चुके हैं।
23 साल में 24 तबादले झेल चुके हैं सगायम
52 वर्षीय सगायम को उनकी ईमानदारी के लिए जाना जाता है। वह तमिलनाडु में पुदुक्कोट्टई गांव के एक किसान बेटे हैं। उनका 23 साल में 24 बार ट्रांसफर किया गया है। सगयम तमिलनाडु के मदुरै जिले में कलेक्टर के रूप में नियुक्त हैं। सगायम पहले भी कई चर्चाओं में रहे हैं। साल 2011 में सगायम को मदुरै में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। तब उन्होंने चुनाव में किसी तरह की कोई धांधली नहीं होने दी।