इस बच्चे को देखकर हो जाएगी हालत ख़राब, लोग बुलाते हैं ‘मानव सर्प’

आपने सुना होगा कि सांप अपनी खाल (केंचुल) छोड़ता है. लेकिन ओडिशा में एक बच्चा है जिसे लोग ‘मानव सर्प’ कहते हैं. क्योंकि इस बच्चे की त्वचा भी लगभग हर महीने निकलती है. यह एक दुर्लभ बीमारी है जो करीब 6 लाख में से किसी एक को होती है. इस बच्चे की यह कहानी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है. आइए जानते हैं इस बीमारी और बच्चे के बारे में…

10 साल के इस बच्चे का नाम है जगन्नाथ. जगन्नाथ ओडिशा के गंजम जिले में अपने माता-पिता के साथ रहता है. इसकी त्वचा पर मोटे-मोटे गहरे रंग के चकत्ते निकले हैं. ये चकत्ते हर महीने निकल जाते हैं. उनकी जगह फिर नए चकत्ते निकल आते हैं. 

इस बीमारी का नाम है लैमलर इचियोसिस. यह एक लाइलाज बीमारी है. स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट को माने तो इस बीमारी से ग्रसित जगन्नाथ हर घंटे नहाता है. ताकि उसके शरीर से नमी कम न हो. नमी कम होते ही उसकी त्वचा निकलने लगती है. इसमें उसे काफी दर्द होता है.

जगन्नाथ के शरीर की त्वचा अब इतनी कठोर हो गई है कि उसे चलने-फिरने में भी दिक्कत आती है. अगर उसे अपने हाथ-पैर सीधे करने होते हैं तो उसे किसी की मदद लेनी पड़ती है. जगन्नाथ के पिता प्रभाकर प्रधान चावल के खेतों में मजदूरी करते हैं. प्रभाकर इतना नहीं कमाते कि बच्चे का इलाज करा सकें. 

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जगन्नाथ को यह बीमारी बचपन से ही है. यह बीमारी 6 लाख लोगों में से किसी एक को होती है. यह बीमारी जीन्स में आई खराबी की वजह से होती है. इससे आदमी के शरीर की त्वचा बेहद धीमी गति से खुद को बनाती है. 

इसलिए जब त्वचा पूरी तरह से रूखी और वैसी हो जाती है जैसे मछलियों और सांपों की त्वचा होती है. लैमलर इचियोसिस में त्वचा के ऊपर एक पतली परत बन जाती है जिसे कोलोडियोन मेंब्रेन कहते हैं. यह धीमे-धीमे कड़ी होती जाती है और चकत्तों का रूप ले लेती है. 

कोलोडियोन मेंब्रेन कुछ हफ्तों में उतरती है. लेकिन इसमें बहुत दर्द होता है. इस पीड़ित इंसान को जीवन भर इसी के साथ रहना होता है. उसे हर दिन दर्द सहना होता है. जगन्नाथ की आंखों पर भी कोलोडियोन मेंब्रेन बनी है. वह इतनी कड़ी है कि सोते समय वह अपनी पलकें भी बंद नहीं कर सकता. 

लैमलर इचियोसिस बीमारी दुनियाभर के कई देशों में पाई जाती है. यह एक जन्मजात बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है. जीन्स की खराबी की वजह से होने वाली इस बीमारी के कई स्तर हैं. इसका पता बच्चे के पैदा होते ही चल जाता है. अगर उसके असली त्वचा के ऊपर एक और त्वचा की एक और परत दिखाई पड़े तो समझ लीजिए उसे लैमलर इचियोसिस बीमारी है. 

 

 

 

 

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