इस दिवाली भूलकर भी ना जलाये तेल और घी के दिये, वरना…

पुुराणों में जहां दिवाली का वर्णन है वहां यह नया तथ्य भी सामने आता है कि दीपावली के दिन सिर्फ महालक्ष्मी के लिए ही नहीं बल्कि पितरों के निमित्त भी दीप जलाए जाते हैं। 

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दीपक के साथ आतिशबाजी, आकाशदीप, कंडील आदि जलाने की प्रथा के पीछे यह धारणा है कि दीपावली-अमावस्या से पितरों की रात आरंभ होती है। हमारे पितर कहीं मार्ग से भटक न जाएंं, इसलिए उनके लिए प्रकाश की व्यवस्था इस रूप में की जाती है। इस प्रथा का बंगाल में विशेष प्रचलन है।

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