इंद्र को मिला था ऐसा श्राप की शरीर में निकल आई थीं 1000 योनियां

इंद्र को देवराज इंद्र कहा जाता है यानी देवताओं का राजा लेकिन आपने ध्यान दिया होगा कि इंद्र की पूजा नहीं की जाती। इसका कारण उनके क्रम और गौतम ऋषि से मिला श्राप है। कामवासना से वशीभूत होकर देवराज इंद्र से कुछ ऐसा कर दिया था, जिसके कारण गौतम ऋषि ने हजार योनियों का श्राप इंद्र को दे दिया। कामवासना के कारण इंद्र को मिल गया हजार योनियों का श्राप


इन्द्र के अधिकतर चित्रों में उनके शरीर पर असंख्य आंखें बनी हुई दिखाई देती है। वास्तव में वो आंखें गौतम ऋषि के श्राप का परिणाम है। पद्ममपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार देवराज इन्द्र स्वर्गलोक में अप्सराओं से घिरे रहने के बाद भी कामवासना से घिरे रहते थे। एक दिन वो धरती पर विचरण कर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक कुटिया के बाहर गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या दैनिक कार्यों में व्यस्त हैं। अहिल्या इतनी सुंदर और रूपवती थी कि इन्द्र उन्हें देखकर मोहित हो गए। इन्द्र को अहिल्या के रूप को पाने की एक युक्ति सूझी। उन्होंने सुबह गौतम ऋषि के वेश में आकर अहिल्या के साथ कामक्रीडा करने की योजना बनाई क्योंकि सूर्य उदय होने से पूर्व ही गौतम ऋषि नदी में स्नान करने के लिए चले जाते थे। इसके बाद करीब 2-3 घंटे बाद पूजा करने के बाद आते थे।

इंद्र की माया से हो गई सुबह
कामेच्छा हावी होने पर इंद्र ने माया से सुबह जैसा वातावरण कर दिया।  ये देखकर गौतम ऋषि कुटिया से बाहर चले गए। उनके जाने के कुछ समय बाद इन्द्र ने गौतम ऋषि का वेश बनाकर कुटिया में प्रवेश किया। उन्होंने आते ही कहा अहिल्या से प्रणय निवेदन किया। अपने पति द्वारा इस तरह के विचित्र व्यवहार को देखकर पहले तो देवी अहिल्या को शंका हुई लेकिन इन्द्र के छल-कपट से सराबोर मीठी बातों को सुनकर अहिल्या भी अपने पति के स्नेह में सबकुछ भूल बैठी। दूसरी तरफ नदी के पास जाने पर गौतम ऋषि ने आसपास का वातावरण देखा जिससे उन्हें अनुभव हुआ कि अभी सुबह नहीं हुई है। वो किसी अनहोनी की कल्पना करके अपने घर पहुंचे। वहां जाकर उन्होंने देखा कि उनके वेश में कोई दूसरा पुरुष उनकी पत्नी के साथ रति क्रियाएं कर रहा है। यह देखते ही ऋषि क्रोधित हो गए।

योनियों का आंखों में बदलना
गौतम ऋषि ने क्रोध में आकर अपनी पत्नी अहिल्या को श्राप दिया कि वो जीवन भर पत्थर की शीला बनी रहेगी। वहीं, इंद्र को धिक्कारते हुए गौतम ऋषि ने कहा ‘तुमने यह सब एक स्त्री की योनि पाने की लालसा में किया, तुम्हें योनि की इतनी लालसा है, तो तुम्हें वही मिलेगी। मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम्हारे शरीर पर हजार योनियां उत्पन्न हो जाएगी। अब तुम्हें किसी स्त्री के साथ की आवश्यकता नहीं है क्योंकि तुम स्वंय हजार योनियो के स्वामी हो’
इस तरह इंद्र के शरीर पर हजार योनियां निकल आई। इंद्र को अपराधबोध हुआ तो उन्होंने हाथ जोड़कर गौतम ऋषि से क्षमा मांगी। गौतम ऋषि का क्रोध शांत हुआ, तो उन्होंने इंद्र के श्राप में संशोधन करते हुए उन योनियों को आंखों में बदल दिया। इस कारण इंद्र की तस्वीर पर हजार आंखें दिखाई देती हैं।

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