आख़िर क्यों? मुगल बादशाह अकबर करते थे सूर्य नमस्कार…

भारत हमेशा से ही एक धर्म सहिष्णु देश रहा है. धर्म और संस्कृति की विविधता सदियों से इस देश की पहचान रही है. मुगलकाल में अकबर जैसे शासकों ने धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनायी. मुगल बादशाह अकबर ने हिंदुओं पर लगने वाला जजिया कर समाप्त कर दिया था और संस्कृत के कई ग्रंथों का फारसी भाषा में अनुवाद कराया.

उनके दरबार में प्रमुख कलाकारों और विद्वानों में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही थे. इतिहासकारों के मुताबिक, अकबर ने निजी जीवन में भी हिंदू धर्म के कई तौर-तरीकों को अपना लिया था. अब्राहम इराली ने अपनी किताब ‘एम्परर्स ऑफ द पिकॉक थ्रोन: द सागा ऑफ द ग्रेट मुगल्स’ में अकबर के समकालीन इतिहासकार मुल्ला अब्द-उल-कादिर बदायूंनी (1540 – 1615) का हवाला देते हुए लिखा है कि अकबर पर उसके हिंदू राजा बीरबल का बड़ा प्रभाव था.

अब्द-उल-कादिर बदायूंनी एक फारसी मूल के भारतीय इतिहासकार एवं अनुवादक रहे थे. अकबर ने इन्हें अपने दरबार में 1574 में इस्लाम धर्म के अधिकारी और सलाहकार रूप में नियुक्त किया था, जहां इन्होंने अपने जीवन के कई वर्ष व्यतीत किए थे. मुल्लाह अब्दुल कादिर बदायूंनी के अनुसार, मुगल सम्राट अकबर पर बीरबल का बहुत प्रभाव था. बदायूंनी इस बात को पीड़ा के साथ लिखते हैं, ‘बीरबल ने सम्राट अकबर को सूर्य और अग्नि की पूजा के लिए तैयार कर लिया था.’

बदायूंनी के मुताबिक, बीरबल के प्रभाव में आकर अकबर जल, पत्थर, पेड़ और सभी प्राकृतिक तत्वों की पूजा करने लगे थे. यहां तक कि वह गाय के सामने झुककर नमन करता थे और गाय के गोबर को भी खास दर्जा देते थे.’ बदायूंनी ने लिखा है, ‘बीरबल ने अकबर को सूर्य की पूजा करने के लिए प्रोत्साहित किया. बीरबल ने अकबर को तर्क दिया कि सूर्य सभी को प्रकाश देता है और सभी फलों, फूलों और पृथ्वी के उत्पादों को पकाने में मदद करता है. सूर्य मानव को जीवित रखने में मदद करता है इसलिए उसकी पूजा की जानी चाहिए.’

अकबर ने खान-पान से संबंधित भी कई दिशा-निर्देश दिए थे. अकबर ने बीफ के सेवन पर प्रतिबंध लगाया था. बदायूंनी ने अपनी किताब में लिखा है, ‘बीफ के सेवन पर कड़ा प्रतिबंध इसलिए लगाया गया था क्योंकि बीफ का सेवन पाचन के लिहाज से ठीक नहीं माना गया था.’बदायूंनी के मुताबिक, रविवार के दिन जीव-जंतुओं की हत्याओं पर भी कड़ा प्रतिबंध लगाया गया था क्योंकि यह दिन सूर्य का दिन माना जाता है.

मध्यकाल के जाने माने इतिहासकार हरबंस मुखिया का कहना है कि अकबर ने जितना हिंदू तौर तरीकों को अपनाया उतना किसी और शासक ने नहीं अपनाया. वह हर दिन ना केवल सूर्य उपासना करते थे बल्कि सूर्य के संस्कृत में 1000 नाम भी लेते थे.

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