आप ऐसे जान सकते है ‘पिछले जन्म’ के बारे में अाैर ये होते हैं इसके फायदे

दोस्तों क्या आप बता सकते है कि आप पिछले जन्म में क्या थे या आप उस समय की कोई ऐसी बात बता सकते है जो आपको इस जन्म में भी याद हो अगर नही तो आज की हमारी ये पोस्ट ख़ास आपके लिए ही है !

आप ऐसे जान सकते है ” पिछले जन्म ” के बारे में अाैर ये होते हैं इसके फायदेहमारे जीवन में रोजाना तरह-तरह की बातें देखने को मिलती है और अगले दिन हम पिछली बातें भूल जाते है हालांकि बहुत से लोग ऐसे भी इस दुनियां में मौजूद है जिनकी यादशात बहुत तेज है लेकिन इसके बावजूद भी  कुछ ऐसी बातें हैं जो आप चाहकर भी याद नहीं रख पाते है  यह बातें आज, कल या बीते हुए दिनों-महीनों की नहीं है. यहाँ हम आपके पिछले जन्म की बात कर रहे हैं.  आप मानें या ना मानें, लेकिन अब तो साइंस ने भी इंसान के पिछले जन्म की बात को सच मानना शुरू कर दिया है.

एक व्यक्ति विभिन्न योनियों को पार करके मनुष्य योनि में जन्म लेता है, धार्मिक शास्त्रों में मनुष्य योनि ऐसी योनि है जिसे सर्वश्रेष्ठ माना गया है. कहते हैं कि मनुष्य रूप में जन्म लेकर ही इंसान खुद को जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कर सकता है. खुद को ईश्वर को समर्पित करके वह मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है, लेकिन मोह-माया में फंसा मनुष्य अपने इस योनि में आने के मकसद को भूल जाता है।

अधिक जानकारी के लिए पहले देखें नीचे दी गयी विडियो और फिर लिखित जानकारी पढ़े !!

लेकिन यह बातें ना तो हमारे सवाल का जवाब हैं और ना ही हमारा असली मुद्दा। सवाल तो यह है कि क्या आप अपने पिछले जन्म की किसी भी बात से वाकिफ़ हैं? क्या आपको कुछ भी याद है? आपने किस योनि में जन्म लिया था, जीवन भर क्या किया, या ऐसा कुछ भी याद है जो आपके पिछले जन्म से जुड़ा हो ?  99 प्रतिशत लोगों का जवाब नहीं में ही होगा…. क्योंकि विज्ञान का भी यही मानना है कि पिछले जन्म की बातों को याद रख पाना नामुमकिन-सा है. वैज्ञानिकों की मानें तो कैमिकल ऑसीटॉसिन नामक एक चीज़ जो गर्भधारण या फिर एक गर्भवति महिला से जुड़ी होती है, यह वस्तु गर्भधारण के समय ही मां के गर्भ में निकल जाती है.

क्या हमें यह पता चल सकता है कि पिछले जन्म में हम क्या थे ? इसका उत्तर यह है कि सामान्य श्रेणी हम मनुष्यों को इस प्रश्न का पूर्ण व स्पष्ट  उत्तर ज्ञात नहीं हो सकता परन्तु यदि हम ऋषि पतंजलि के योग दर्शन के अनुसार योग को पूर्णतया अपने जीवन में धारण कर लें, उसका पालन करें व दोनों प्रकार की समाधि, सम्प्रज्ञान व असम्प्रज्ञात,  को सिद्ध कर लें तो इससे हम अपने पूर्वजन्मों के बारे में ज्ञान सकते हैं. ऐसा शायद इसलिए सम्भव होता है कि योगाभ्यास से हमारी आत्मा पूर्णतया शुद्ध हो जाती है और हमारे जो बुरे संस्कार रह जाते हैं उन्हें हम दग्ध बीज कर देते हैं. जिस प्रकार से भुने हुए चने खेत में डालने से उससे चने के पौधे नहीं उगते उसी प्रकार दग्ध बीज किए गये संस्कार भुने हुए चने के समान होकर उनका फल मिलना रुक जाता है वा समाप्त हो जाता है.

शोधकर्ताओं के अनुसार यह सारा खेल ‘कर्मों’ का है. उस विशेष आत्मा के कर्म उसे उसके पिछले जन्म की ओर खींचकर ले जाते है . उनके उन जन्म में कुछ तो ऐसा हुआ होता है जो उन्हें अगले जन्म तक भी उन बातों को भूलने नहीं देता और ये बात  लाखों-करोड़ो में से केवल एक-दो लोगों के साथ ही होता है.

 
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