आंखों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील नहीं हैं भारतीय

नई दिल्ली। भारत के लोग रोशनी की गुणवत्ता के मामले में बहुत उदासीन हैं और खराब रोशनी में काम करने के कारण उनकी आंखें जल्दी ही खराब हो जाती हैं। हालहि में प्रकाश उपकरण बनाने वाली कंपनी फिलिप्स लाइटिंग के द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण अनुसार दो तिहाई भारतीय खराब रोशनी को आंखों के लिए नुकसानदेह मानते हैं। हालांकि महज 21 प्रतिशत लोग ही आंखों के हिसाब से प्रकाश उपकरणों की खरीद करते हैं।आंखों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील नहीं हैं भारतीय

कंपनी के अनुसार, सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि ज्यादातर भारतीय त्वचा तथा अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की तरह आंखों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील नहीं हैं। अध्ययन में यह बात सामने आई है कि 44 प्रतिशत भारतीय नियमित तौर पर नेत्र विशेषज्ञों के पास नहीं जाते हैं। इसके अनुसार, अधिकांश भारतीय प्रकाश की गुणवत्ता के बजाय बल्ब की कीमत और उसके टिकाऊपन को तरजीह देते हैं।

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कंपनी ने बयान में कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी के बढ़ते दखल के बीच इस तरह की उदासीनता खतरनाक है। उसने बताया कि अध्ययन में 70 प्रतिशत भारतीयों ने माना है कि वे रोजाना छह घंटे से अधिक समय कंप्यूटर के सामने गुजारते हैं। यह परिणाम ऐसे समय में आया है जब निकट दृष्टि दोष के मामले विश्व भर में सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए हैं।

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