अमृतसर रेल हादसे में अपनी चूक को छिपा गया रेलवे, जानिए क्या थी बड़ी चूक

अमृतसर रेल हादसे में जांच से इनकार कर रेलवे ने अपनी चूक पर पर्दा डाल दिया। एशिया के सबसे बड़े और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े रेल नेटवर्क के ट्रैक पर 61 लोग टुकड़ों में तब्दील हो गए। यह भीषण दुर्घटना भारतीय रेल की छवि और कार्यप्रणाली पर संदेह खड़ा कर रही है। रेलवे इंटेलिजेंस सवालों के घेरे में है क्योंकि इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ही नहीं बल्कि रेलवे की स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच (एसआईबी) चप्पे-चप्पे पर नजर रखती है। लेकिन इस घटना को रोक पाने में रेलवे का निगरानी व सुरक्षा तंत्र पूरी तरह नाकाम साबित हुआ।

रेलवे इंटेलिजेंस के जिम्मे सुरक्षा की अति महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। यहां तक कि यदि पटरी पर कहीं भीड़ जमा होने की आशंका हो या किसी कारण ट्रैक के बाधित होने की स्थिति उत्पन्न हो रही तो ऐसी हर सूचना जुटाने का काम इंटेलिजेंस का ही है। रेल ट्रैक की सुरक्षा में तैनात गैंगमैन भी सतत पेट्रोलिंग करते हैं ताकि किसी दुर्घटना को रोका जा सके। इसके बावजूद अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास धोबीघाट मैदान में जुटी बड़ी भीड़ की सूचना नहीं जुटाई जा सकी।

पहली और बड़ी चूक : “नईदुनिया” के सहयोगी प्रकाशन “दैनिक जागरण” की पड़ताल में रेलवे सूत्रों ने इस गंभीर चूक की ओर ध्यान दिलाया। सूत्रों के अनुसार आईबी और एसआईबी में आपसी तालमेल के बाद ही डेली क्राइम रिपोर्ट (डीसीआर) दिल्ली स्थित रेलवे मुख्यालय को भेजी जाती है।

इस रिपोर्ट का इनपुट महाप्रबंधक के संज्ञान में भी होता है और तुरंत रेलवे की संबंधित ब्रांच को दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं। तत्काल ही रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को सूचना दे दी जाती है। सूत्रों के मुताबिक, अमृतसर हादसे में सबसे बड़ा पहलू यह है कि एसआईबी ने इनपुट दिया या नहीं? यदि इनपुट नहीं दिया गया तो रेलवे ने इस लापरवाही पर अब तक क्या कार्रवाई की?

दूसरी चूक : इंटेलिजेंस को छोड़ भी दें तो अमृतसर हादसा कहीं दूर जंगल में नहीं बल्कि शहर के भीतर रेलवे फाटक के पास ही हुआ। गेटमैन मौके पर था, जो यह देख रहा था कि ट्रैक के निकट भीड़ जमा हो रही है। बावजूद इसके, उसने यह सूचना आगे नहीं बढ़ाई। जबकि उसके द्वारा तुरंत ही ऑपरेटिंग विभाग को यह सूचना दी जा सकती थी।

तीसरी चूक : पटरी पर खड़े लोगों को हटाने की जिम्मेदारी रेलवे की है। न हटने पर रेलवे एक्ट की धारा 147 में मुकदमा दर्ज करने का प्रावधान है। यह कार्रवाई आरपीएफ ही नहीं बल्कि कॉमर्शियल विभाग भी कर सकता है। इस तरह रेलवे की कार्यप्रणाली में उक्त चूक हादसे का सबब बनती दिखाई दे रही हैं। लेकिन रेलवे ने जांच से साफ इनकार कर इन पर पर्दा डाल दिया है।

आईबी-एसआईबी ने नहीं दी सूचना : आरपीएफ डीजी रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा कि एसआईबी और आईबी की ओर से इस संबंध में (अमृतसर में रेलवे ट्रैक के निकट बड़ी भीड़ जुटने) कोई भी इनपुट आरपीएफ को नहीं मिला था। इनपुट न आने पर कोई जवाबदेही तय नहीं की गई।

रेलवे के पास कोई जानकारी नहीं थी : सीपीआरओ उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क व सूचना अधिकारी (सीपीआरओ) दीपक कुमार ने बताया कि अमृतसर में रेलवे ट्रैक के निकट बड़ी भीड़ जुटने को लेकर रेलवे के पास कोई जानकारी नहीं थी। एसआईबी से कोई इनपुट नहीं आया। पटरी के आसपास इतनी बड़ी संख्या में लोगों के होने की एसआईबी के पास जानकारी क्यों नहीं? इस सवाल पर सीपीआरओ ने चुप्पी साध ली।

रेलवे ने क्यों नहीं बरती सावधानी : देश के सबसे बड़े रावण दहन समारोह का आयोजन सन्‌ 2017 तक अंबाला जिले के बराड़ा में होता रहा है। इसमें हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। इसके अलावा अंबाला-सहारनपुर रेलवे सेक्शन में मारकंडा पुल के पास भी बड़ा आयोजन होता है, यहां भी लोगों की संख्या हजारों में होती है। इन दोनों बड़े आयोजनों को देखते हुए रेलवे यहां पूरी सावधानी बरतता आया है। ट्रेनों की गति धीमी कर ही निकाला जाता है। सूत्रों का कहना है कि अंबाला से भेजे गए इनपुट के बाद ही ट्रेनों की गति धीमी की जाती थी। यदि अंबाला में ट्रेनों की गति कम हो सकती है तो अमृतसर में क्यों नहीं?

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