अब 200 किलोमीटर की स्पीड पर दौड़ेगी भारतीय ट्रेन, रूस ने दिए सुझाव

नागपुर और सिकंदराबाद के बीच 571 किलोमीटर की रेल लाइन पर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने के भारत के सपने को पूरा करने के लिए रूस की एक्सपर्ट टीम ने प्रारंभिक अध्ययन के बाद सुझाव दिए हैं. रूस ने हाई स्पीड कारिडोर बनाने के लिए इस रेल लाइन की 2 मीटर ऊंची फेंसिंग करने की सलाह दी है. रेल लाइन के नीचे की जमीन को 40 सेंटीमीटर मोटी कंक्रीट की चादर से ढकने की भी जरूरत बताई गई है. इस तरह के तमाम सुझावों के साथ रूस के तकनीकी प्रतिनिधिमंडल ने राजधानी दिल्ली में रेल भवन के अंदर रेल बोर्ड के आला अफसरों को अपने प्रारंभिक अध्ययन से रूबरू कराया.

रूस से आए प्रतिनिधिमंडल ने अपनी योजना रेलवे के सामने रखी. अपने प्रजेंटेशन में रूसी विशेषज्ञों ने कहा की नागपुर और सिकंदराबाद के बीच पूरी रेलवे लाइन में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है. इस रेलवे लाइन को 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए कई चीजों में परिवर्तन जरुरी है. उसके मुताबिक आरंभिक अध्ययन में यह पता चला है कि यहां पर संचार तकनीक को भी लेटेस्ट बनाए जाने की जरूरत है. इसके अलावा इस लाइन पर ट्रैक्शन लाइन को जरूरत के मुताबिक आधुनिक करना आवश्यक है. तेज रफ्तार में रेल लाइन के नीचे की जमीन ना खिसके इसके लिए भी कई जगहों पर यह जरूरी है की पटरी के नीचे की मिट्टी बदली जाए. नागपुर-सिकंदराबाद के बीच कई रेलवे पुल है और इसी के साथ जगह जगह पर छोटी छोटी पुलिया है इन सब की ताकत को परखने के लिए डिटेल स्टडी की जरूरत रूसी प्रतिनिधिमंडल ने बताई.

गौरतलब है कि पिछले साल 15 अक्टूबर को भारत के पुराने मित्र देश रूस ने भारतीय रेलवे को रफ्तार बढ़ाने में मदद देने का भरोसा दिया है. इस मामले में दोनों देशों के बीच में नागपुर सिकंदराबाद रेलवे कारिडोर में ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने को लेकर अधययन करने के मामले में सहमति बनी है इस प्रोटोकॉल के तहत नागपुर-सिकंदराबाद के बीच रेल गाड़ियों की स्पीड बढ़ाकर 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक किए जाने की योजना है. रूस इस मामले में भारत को तकनीकी सलाह देगा साथ ही साथ नागपुर और सिकंदराबाद के बीच हाईस्पीड कारिडोर में रूस की रेलवे भारतीय रेलवे के साथ मिलकर फिफ्टी-फिफ्टी भागीदारी पर सहमत बनी थी. इसके लिए रूस भारत की वित्तीय मदद भी करेगा.

रूस ने भारत को दिसंबर 2015 के दौरान तकनीकी सहयोग देने का वायदा किया था इसके लिए दोनों देशों के बीच एमओयू साइन हुआ था. समझौता ज्ञापन में आपसी सहयोग के कई क्षेत्रों की पहचान की गई थी रूस में भारत में हाई स्पीड रेल में सहयोग देने का वायदा किया था. इसी के साथ रेलों की गति 107 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे की मौजूदा लाइनों का आधुनिकीकरण का भी वायदा किया गया था रूस ने सैटेलाइट नेविगेशन और डिजिटल संचार माध्यमों पर आधारित आधुनिक नियंत्रण एवं सुरक्षा संबंधित प्रणालियों के मामले में भारतीय रेलवे का पूरा सहयोग देने को कहा था. इसके अलावा भारत और रूस के बीच में रोलिंग स्टॉक को लेकर तकनीकी सहयोग की सहमति भी बनी थी दोनों देशों ने परिवहन सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के साथ-साथ स्टेशनों का पुनर्विकास करने की बात भी कही थी.

दुनिया की सबसे लंबी रेल लाइन ट्रांस साइबेरियन रेलवे चलाने का अनुभव रूस को है. ट्रांस साइबेरियन रेलवे ऐसी जगहों से होकर गुजरती है जो बियाबान है और भौगोलिक दृष्टि से काफी कठिन है ऐसे में इस रेलवे को दुनिया का आश्चर्य ही माना जाता है रूस के पास तमाम तकनीकी जानकारियां हैं जिनको वह भारतीय रेलवे के साथ साझा कर सकता है. इससे जहां एक तरफ भारतीय रेलवे को सस्ती कीमत पर तकनीक मिल पाएगी तो वहीं दूसरी तरफ भारत के मित्र देश रूस को एक बड़ा बाजार. इस तरह दोनों ही देशों के लिए यह सहयोग मुनाफे का सौदा होगा.

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