सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के बढ़ते बाजार में अवसरों की भरमार

Technology in the hands of businessmen
Technology in the hands of businessmen

अगर आपकी कम्प्यूटर और टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी है, तो आपको आईबीएम, इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल जैसी आईटी कंपनियां काफी नाम और दाम दिला सकती हैं। बतौर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजीनियर आप तेजी से कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ सकते हैं। यही वजह है कि आजकल कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई में युवाओं का रुझान भी तेजी से बढ़ा है। इंटरनेट, वेबसाइट्स और सॉफ्टवेयर एप्लिकेशंस के दिनो-दिन बढ़ते बाजार की वजह से इस क्षेत्र में प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ी है।

वर्क प्रोफाइल

सॉफ्टवेयर उद्योग में डेवलपर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजीनियर एप्लिकेशन की डिजाइनिंग, डेवलपमेंट एक्टिविटी व एप्लिकेशन टेक्नोलॉजी यानी लैंग्वेज की प्रोग्रामिंग, असेंबलिंग और टूल्स डेवलपमेंट जैसी तमाम चीजों को डेवलप करने का काम करते हैं। क्लाइंट कंपनीज की जरूरतों के अनुसार नए सॉफ्टवेयर तैयार करना भी इन्हीं की जिम्मेदारी होती है। इन्हें लगातार क्लाइंट की मांग और स्पेसिफिकेशन पर काम करके उत्पाद की तय समय पर डिलीवरी भी देनी होती है। साथ ही पुराने हो चुके सॉफ्टवेयर एप्लिकेशंस में नए फंक्शन, स्पेसिफिकेशन, खामी व स्पीड पर काम करके उसे अपडेट रखने का काम भी इनका ही है। साथ ही ये बाजार की जरूरतों पर भी पैनी नजर रखते हैं। चूंकि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट एक टीमवर्क है, इसलिए इन्हें कंपनी के डिजाइनर व कंटेंट प्रोड्यूसर्स की टीम के साथ को-ऑर्डिनेशन बनाकर चलना पड़ता है। इस फील्ड में प्रोग्रामर की भी अपनी भूमिका है। मगर ये मुख्य रूप से प्रोग्राम कोडिंग से जुड़े काम ही करते हैं।

स्किल

सॉफ्टवेयर उद्योग में स्किल्ड लोगों की मांग लगातार बढ़ रही है। आम तौर पर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट जॉब के लिए चार से पांच साल का अनुभव रखने वाले लोगों को कंपनियां तरजीह दे रही हैं। खासकर लैंग्वेजेस का ज्ञान होना चाहिए। इसके अलावा लिनक्स ओएस की जानकारी, ट्रबल शूटिंग व डी-बगिंग स्किल, डेटा स्ट्रक्चर और एल्गोरिदम की समझ-बूझ जरूरी है। ऐसे प्रोफेशनल्स से अच्छी कम्युनिकेशन स्किल और पारखी नजर रखने की अपेक्षा भी की जाती है।

क्वॉलिफिकेशन

जो विद्यार्थी सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग या डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम करने की इच्छा रखते हैं, वे प्रोग्रामिंग, कम्प्यूटर साइंस या सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का कोर्स कर सकते हैं। इसके लिए साइंस स्ट्रीम के साथ ग्रेजुएट होना जरूरी है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री भी की जा सकती है। इसी तरह आप बीई, बीटेक, एमई, एमएस या एमटेक डिग्री हासिल करके भी इस प्रोफेशन में प्रवेश पा सकते हैं।

जॉब के अवसर

यदि जॉब मार्केट के ट्रैंड को देखा जाए, तो आने वाले वर्षों में सॉफ्टवेयर डेवलपर्स की मांग बनी रहेगी। खासकर प्रोग्रामिंग क्षेत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स की मांग देश-विदेश में काफी अध्ािक रहने की उम्मीद है। ब्यूरो ऑफ लेबर के अनुसार, वर्ष 2018 तक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में जॉब की संभावनाएं करीब 32 प्रतिशत तक बढ़ेंगीं। इंटरनेट व वेबसाइट्स के लिए एप्लिकेशंस की मांग की वजह से प्रोग्रामर्स के लिए भी यहां काफी संभावनाएं हैं। आप इस फील्ड में नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर, डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर, नेटवर्क प्रोग्रामर, टेस्टर, सिस्टम एनालिस्ट, बिजनेस एनालिस्ट, सिस्टम इंजीनियर, वेब डिजाइनर के अलावा टेक्निकल सपोर्ट आदि के रूप में जॉब पा सकते हैं। फिलहाल आईटी क्षेत्र में आउटसोर्सिंग की वजह से यह प्रोफेशन काफी संभावनाओं से भरा हुआ है।

सैलरी

नई-नई टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर ने लोगों के जीवन को सुविध्ााजनक बनाया है। इन सॉफ्टवेयर्स और टेक्नोलॉजी को विकसित करने वाले इंजीनियर्स की सैलरी भी काफी अच्छी होती है। कई बड़ी कंपनियों में इन्हें सैलरी और करियर ग्रोथ के साथ लोन, इंश्योरेंस और रीइंबर्समेंट जैसी ढेरों सहूलियतें मिलती हैं। अगर सैलरी स्ट्रक्चर की बात करें, तो इस फील्ड से जुड़े प्रोफेशनल्स को शुरूआती दौर में हर माह 25 से 40 हजार रुपए मिलते हैं। कुछ वर्षों का अनुभव हासिल करने के बाद सैलरी लाखों में हो सकती है। यही वजह है कि देश की टॉप हाई-पेड सैलरी वाली नौकरियों में यह प्रोफेशन शुमार है।

प्रमुख संस्‍थान

– इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली

http://www.iitd.ac.in

– चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़

http://www.cuchd.in

– रुड़की कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, उत्तराखंड

http://www.rceroorkee.in

– अन्नाा यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु

http://www.annauniv.edu

 
 
 
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