देशभर में हो रही हिंसा पर पहली बार बोला सुप्रीम कोर्ट, कह दी बहुत बड़ी बात
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को संवैधानिक घोषित करने की मांग कर रही याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस समय देश कठिन दौर से गुजर रहा है और बहुत अधिक हिंसा हो रही है।
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ ने याचिका पर हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि पहली बार कोई किसी कानून को संवैधानिक घोषित करने का अनुरोध कर रहा है। CAA पूर्ण रूप से संवधानिक है और कोर्ट को इसे नही चाहिये- सरकार ने पूरे बहुमत से इसे संसद मे पास कराया है- जो लोग इसका विरोध कर रहे है वे राष्ट्र के टुकड़े करना चाहते है
पीठ ने कहा कि वह हिंसा थमने के बाद सीएए की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि इस समय इतनी अधिक हिंसा हो रही है और देश कठिन दौर से गुजर रहा है और हमारा प्रयास शांति के लिए होना चाहिए। इस कोर्ट का काम कानून की वैधता निर्धारित करना है न कि उसे संवैधानिक घोषित करना।
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जस्टिस ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब अधिवक्ता विनीत ढांडा ने सीएए को संवैधानिक घोषित करने और सभी राज्यों को इस कानून पर अमल करने का निर्देश देने के लिए दायर याचिका सुनवाई के लिए शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। इस याचिका में अफवाहें फैलाने के लिए कार्यकर्ताओं, छात्रों और मीडिया हाउस के खिलाफ कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट 18 दिसंबर को सीएए की संवैधानिक वैधता की विवेचना के लिए तैयार हो गया था लेकिन उसने इसके अमल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। नागरिकता संशोधन कानून के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध समुदाय के सदस्यों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।
शीर्ष अदालत ने इस कानून को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था और इसे जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया था। इस कानून की वैधता को चुनौती देने वालों में कांग्रेस के जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, राजद नेता मनोज झा, एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, पीस पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, गैर सरकारी संगठन रिहाई मंच और सिटीजंस अगेन्स्ट हेट, ऐडवोकेट मनोहर लाल शर्मा और कानून के छात्र शामिल हैं।