ओडिशा के नॉर्थ-ईस्ट में स्थित बालासोर जिले से 15 किलोमीटर दूर है चांदीपुर। यह बेहद खूबसूरत समुद्र तट है। यह समुद्र तट बहुत ही छिछला है, लेकिन सबसे अच्छी बात है कि मानसून में भी यहां का लुत्फ लिया जा सकता है। दो-दो मिनट में समुद्र का घटता-बढ़ता पानी यहां की सबसे आश्चर्यजनक चीज है। चांदीपुर और किन वजहों से खास और देखने लायक है, ये जानेंगे।
चांदीपुर बीच
चांदीपुर ओडिशा का एक बेहद ही खूबसूरत बीच है। इसके पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में मयूरभंज का इलाका आता है, जबकि इसके उत्तरी सिरे पर बंगाल का मेदनीपुर जिला है। बंगाल के सबसे लोकप्रिय बीच दीघा से बालासोर की दूरी 100 किलोमीटर है। दीघा से बालासोर तक बंगाल की खाड़ी से सटा ये बीच बेहद छिछला है। आप समुद्र के अंदर कई किलोमीटर तक चलते रहें, फिर भी पानी घुटनों से ऊपर नहीं जाएगा। इसकी यही खासियत इसे बाकी दूसरे समुद्र तटों से अलग करती है। दूर-दूर से पर्यटक इसका आनंद लेने आते हैं। वैसे, चांदीपुर मिसाइल प्रक्षेपण केंद्र के लिए भी मशहूर है। यह 1989 में स्थापित किया गया था। भारत में बनी अधिकतर मिसाइलें जैसे त्रिशूल, आकाश, नाग व जमीन से जमीन तक मार करने वाली मिसाइल पृथ्वी और अग्नि का प्रक्षेपण भी यहीं से किया गया था।
शांति और रोमांच का संगम
शाम के समय तो आप समुद्र के अंदर अंधेरे की वजह से ज्यादा दूर नहीं जा सकते, लेकिन सुबह और दिन का समय समुद्र के अंदर चहलकदमी करने के लिए बिल्कुल सही है। चांदीपुर के बीच का असली मजा दूसरे बीचों से हटकर है। समुद्र के अंदर दो-तीन किलोमीटर चलने पर चारों ओर दूर-दूर तक पानी के सिवा और कुछ भी नजर नहीं आता। चारों तरफ फैला हुआ समुद्र मन को अजीब-सी शांति के साथ सुकून भी देता है। यह एक ऐसा समुद्र है जो आपको डराता नहीं, भगाता नहीं, बल्कि अपने पास बुलाता है। दीघा, बंगाल और उड़ीसा की सीमा के करीब स्थित तालसरी ऐसी जगह है, जहां आप चांदीपुर देखने के बाद जा सकते हैं।
कैसे जाएं?
चांदीपुर बीच बालासोर हावड़ा-भुवनेश्वर रेलवे लाइन पर स्थित है। सड़क मार्ग से जाने पर ये भुवनेश्वर से 200 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे-5 पर पड़ता है।
कहां ठहरें?
चांदीपुर में समुद्र के किनारे रहने के लिए सबसे बढ़िया ऑप्शन पंथनिवास है। कई सारे प्राइवेट होटल भी यहां हैं। ये काफी लग्जरियस हैं। चांदीपुर का खास आकर्षण ही समुद्र को तट को दूर खिसकते हुए देखना है। इसलिए ऐसी जगह पर रहें, जहां आप अपने कमरे से ही समुद्र में लहरों का आना-जाना देख सकें।