

एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार योजना को प्राथमिकता के तौर पर पहले चरण में 100 स्मार्ट सिटी तथा अटल शहरी पुनर्जीवन और परिवर्तन मिशन (एएमारयूटी) के तहत 500 नगरों के लिए लागू किया जाएगा। पेयजल की किल्लत से जूझ रहे लोगों को इन शहरों में राहत मिलने की सम्भावना जताई गई है।जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार योजना का जो खाका तैयार किया जा रहा है, उसमें उपभोक्ता शुल्क, टैरिफ सूचीकरण आदि शामिल है। वर्तमान में अधिकांश शहरों में पानी के वितरण और नियंत्रण का जिम्मा नगरपालिकाओं, नगर निगमों के हाथ में है।
मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार भारत में केवल 20 फीसदी पानी के ऐसे कनेक्शन हैं जहां मीटर लगा हुआ है तथा 40 फीसदी पानी का कोई राजस्व सरकार को नहीं मिलता है।
अनुमान है कि इस कार्य योजना से सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा और पानी की बर्बादी भी रुकेगी। उल्लेखनीय है कि 100 स्मार्ट सिटी तथा अटल शहरी पुनर्जीवन और परिवर्तन मिशन (एएमारयूटी) के तहत 500 नगरों में पानी की भी भरपूर मात्रा उपलब्ध कराई जानी है।