वो कई लोग थे मेरे साथ जबरदस्ती….. और फिर वो…. देखिये मानवता को शर्मसार करने वाला विडियो

सुनने में अजीब और दुखद ज़रूर होगा लेकिन नशीली दवाओं और हथियारों के कारोबार के बाद मानव तस्करी विश्व भर में तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है। दुनिया भर में 80 प्रतिशत से ज्यादा मानव तस्करी यौन शोषण के लिए की जाती है, और बाकी बंधुआ मजदूरी के लिए। भारत को एशिया में मानव तस्करी का गढ़ माना जाता है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में हर 8 मिनट में एक बच्चा लापता होता है।
सन् 2011 में लगभग 35,000 बच्चों की गुमशुदगी दर्ज हुई जिसमें से 11,000 से ज्यादा तो सिर्फ पश्चिम बंगाल से थे। इसके अलावा यह माना जाता है कि कुल मामलों में से केवल 30 प्रतिशत मामले ही रिपार्ट किए गए और वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है।
भारत में बढ़ रहे मानव तस्करी के मामलों के साथ ही सवाल ये भी उठता है की आखिर देश में ये संगीन जुर्म होता क्यूँ है?तथ्यों को जोड़े तो पुरुष काम करने के लिए बड़े व्यवसायिक शहरों की ओर पलायन करते हैं, जिससे व्यापारिक सेक्स की मांग पैदा होती है। इस मांग को पूरा करने के लिए सप्लायर हर तरह की कोशिश करता है जिसमें अपहरण भी शामिल है। गरीब परिवार की छोटी लड़कियों और युवा महिलाओं पर यह खतरा ज्यादा होता है। इसके बाद आता है अन्याय और गरीबी।
“यहां पर हर रात कम से कम पाँच करोड़ रुपए का व्यापार होता है| मुझे अपनी जाँच के दौरान बहुत पुख़्ता संकेत मिले हैं की सरकार के एक मंत्री और देश की एक प्रमुख पार्टी के नेता इसके पीछे हैं|”
कैसा लगता है ये सुनने में की दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है और कई लोग जिसे भारत की धार्मिक राजधानी बुलाते हैं वहां पर होते इस अमानवीय जुर्म के बारे में? बुरा, हैना? महिलाओं के लिए कल्चर मशीन के डिजिटल चैनल ‘ब्लश’ ने एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज की है जिसमें शहर के एक और पहलू को सामने लाया गया है। हालांकि, यह पहलू निराशाजनक है। ‘ब्लश ओरिजनल्स’ के तहत रिलीज की गई डॉक्यूमेंट्री ‘गुड़िया’ शहर में होने वाली मानव तस्करी और यौन गुलामी के संवेदनशील मुद्दों पर जोर देती है। डॉक्यूमेंट्री में पति-पत्नी अजीत व मंजू द्वारा चलाये जा रहे एनजीओ गुड़िया संस्थान द्वारा बचाई गई 3 महिलाओं की कहानियों को प्रदर्शित किया गया है। इसमें सरकार, पुलिस और देह बाजार में वैश्याओं के दलालों के बीच व्याप्त सांठ-गांठ को भी दिखाया गया है।
इस वीडियो में तीन पीड़ितों के कड़वे अनुभवों को दर्शाया गया है कि कैसे विश्वसनीय मित्रों द्वारा बंदूक की नोंक पर उनका अपहरण कर लिया जाता है और उसके बाद उन्हें सामूहिक दुष्कर्म और अत्याचार सहना पड़ता है|