वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल के आयोजन पर NGT ने केंद्र से पूछा, ‘पर्यावरण मंजूरी की जरूरत क्यों नहीं’

105815-ngtएजेंसी/नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में यमुना किनारे आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रम के आयोजन पर एनजीटी आज (बुधवार को) फिर सुनवाई शुरू करेगा। सुनवाई मंगलवार को शुरू हुई थी। आर्ट ऑफ लिविंग ने इस मसले पर कहा है कि उसने सभी शर्तों का पालन किया और कार्यक्रम के लिए तमाम जरूरी मंजूरी दी गई है। डीडीए ने श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग उत्सव को इजाजत देने के अपने फैसले का समर्थन किया। गौर हो कि सेना द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए पंटून पुल का निर्माण एनजीटी की जांच के दायरे में है।

 

आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रवि शंकर की संस्था ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के 35 साल पूरे होने की मौके पर दिल्ली में 11 मार्च से होने जा रहे वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल को लेकर एनजीटी ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। वैश्विक सांस्कृतिक उत्सव को एनजीटी ने केंद्र से सवाल किया कि यमुना के जल ग्रहण क्षेत्र में अस्थायी ढांचे के निर्माण के लिए पर्यावरण मंजूरी की जरूरत क्यों नहीं है। सुनवाई से पहले के घटनाक्रम में यमुना किनारे आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल के आयोजन के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सुनवाई के दौरान श्री श्री रविशंकर ने कहा कि इस आयोजन के लिए एक भी पेड़ नहीं काटा गया है। वहीं दिल्ली सरकार ने कहा कि उन्होंने इस आयोजन के लिए न ही पुलिस और न ही फायर सेफ्टी क्लियरेंस दी है।

इस मामले में श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि हमें वातावरण को प्रदूषित नहीं करना चाहिए। मैंने अपने क्षेत्र में कभी भी पेड़ काटने नहीं दिया। दूसरी तरफ डीडीए ने कहा कि ऐसा नहीं है कि यह कार्यक्रम होगा तो ‘आसमान गिर जाएगा’। हमें यह देखना है कि इस क्षेत्र की यथास्थिति बनाए रखने के लिए क्या कर सकते हैं, हालांकि अब हम इस कार्यक्रम की दहलीज पर हैं। श्री श्री की आर्ट ऑफ लिविंग संस्था ने सभी आरोपों को नकारा है। उनका कहना है कि इस कार्यक्रम को लेकर आवश्यक सभी अथॉरिटी से इजाजत से ली गई है। यह आयोजन विश्व में शांति को बढ़ावा देने के लिए हो रहा है। हमने इस कार्यक्रम के लिए इको फ्रेंडली मैटिरियल जैसे लकड़ी, मिट्टी, कपड़े का इस्तेमाल किया गया है।

साथ ही दिल्ली में यमुना किनारे होने वाले आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रम में सेना से पंटून पुल बनवाने को लेकर विवाद हो गया है। अब तक सेना एक पुल बना चुकी है और दूसरा पुल बनाने का काम चल रहा है। संभावना है कि सेना तीसरा पुल भी बना सकती है। हालांकि पर्यावरणविदों का कहना है कि इस कार्यक्रम से यमुना की नाजुक स्थिति को गंभीर नुकसान हो सकता है और इससे यमुना को अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है। तीन मोबाइल टावरों को लगाया गया है।

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