रामायण अधूरी है, इन दिव्य पात्रों के बिना…

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण, जीवन का आधार है। यह श्रीराम और सीता के जीवन पर आधारित हिंदू धर्म की पवित्र पुस्तकों में से एक है। रामायण मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की कहानी के उन पहलुओं को बयां करती है, जिनसे वर्तमान में काफी कुछ सीखा जा सकता है।वैसे तो रामायण में कई पात्र हैं लेकिन रामायण में आठ पात्र ऐसे हैं जो न होते तो शायद रामायण अधूरी होती। रामायण के मुख्य पात्र हैं प्रभु श्रीराम जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। मानव को मर्यादा के नए आयाम स्थापित कर मार्गदर्शित करने वाले श्रीराम की विवाह सीता से हुआ था। सीताजी लक्ष्मीजी का अवतार थीं।

श्रीराम कथा रामायण के तीसरे प्रमुख पात्र हैं हनुमानजी, हनुमानजी श्रीराम के भक्त थे। रामायण की तीसरा प्रमुख पात्र था रावण। त्रेतायुग में मौजूद सर्वश्रेष्ठ विद्वान व्यक्ति रावण काफी प्रभावशाली दैत्य भी थी। वह सीता पर मोहित था। यही कारण था कि उसने सीता जी का अपहरण किया।

इस तरह श्रीराम और रावण का युद्ध हुआ। लेकिन इस युद्ध में श्रीराम द्वारा रावण का अंत कर पाना असंभव था। लेकिन रावण के भाई विभीषण राम को एक रहस्य बताया कि रावण ने अपनी नाभि में अमृत छिपा रखा है। इस तरह विभीषण की भूमिका भी रामायण में मुख्य रूप से याद की जाती है।

लेकिन दिलचस्प बात यह है कि भले ही रामायण के मुख्य पात्र श्रीराम हों, लेकिन महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका रही। पहली भूमिका मंथरा, जो कि कैकयी की दासी थी।

उसने श्रीराम को वनवास भेजने का प्रश्न उठाय। कैकेयी भी अपने पु्त्र भरत को राजा बनने के ख्वाब को पूरा करने के लिए मंथरा की बात को मान गईं और श्रीराम को वनवास मिला। इस वनवास में उनका साथ दिया उनके अनुज लक्ष्मण और अर्धांगिनी सीता ने।वनवास के दौरान ही सीता का अपहरण रावण करता है और फिर राम-रावण युद्ध होता है। इस तरह रावण का अंत हो जाता है।

 

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