राज्यसभा की बैठकों में, हंगामे की भेंट चढ़ गए 86 घंटे

नई दिल्ली। राज्यसभा का शीतकालीन सेशन शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष के कड़े विरोध और सत्तापक्ष के सदस्यों के कड़े तेवर के कारण पैदा गतिरोध की भेंट चढ़ गया। सभापति हामिद अंसारी ने सदन की कार्यवाही में लगातार व्यवधान पर अप्रसन्नता जताते हुए सभी पक्षों से आत्मविश्लेषण का आहवान किया।

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राज्यसभा के 241वें सेशन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में अंसारी ने व्यवधान पर काफी निराशा जताई। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि दिसंबर 2013 में 221वें सेशन के समापन पर उन्होंने जो टिप्पणी की थी, उसे दोहराने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन उनकी उम्मीदें गलत साबित हुई।

शीतकालीन सेशन के दौरान सदन की कुल 21 बैठकों में नोटबंदी सहित विभिन्न मुद्दों के कारण कामकाज के 86 से ज्यादा घंटे हंगामे की भेंट चढ़ गए। विभिन्न दलों के सदस्यों ने कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग, श्रीलंका की नौसेना की फायरिंग से तमिलनाडु के मछुआरों की रक्षा और सलेम इस्पात संयंत्र के विनिवेश को रोकने की मांग पर भी हंगामा किया।

अंसारी ने हंगामे और गतिरोध पर कटाक्ष करते हुए कहा कि नियमित और लगातार व्यवधान इस सेशन की खासियत रही। हंगामे के कारण सदस्यों को सवालों और लोक महत्व के विभिन्न मुद्दों के तहत कार्यपालिका को जवाबदेह बनाने का मौका नहीं मिल सका।

अंसारी ने कहा कि नारेबाजी, पोस्टर दिखाने और कार्यवाही को बाधित किए जाने से संबंधित नियमों की सदन के सभी पक्षों द्वारा लगातार अवहेलना की गई। उन्होंने कहा कि सदन में शांति सिर्फ उसी समय रही जब दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि दी जा रही थी। उन्होंने कहा कि सदन के सभी तबकों को असंतोष, व्यवधान और आंदोलन के बीच अंतर पर आत्मविश्लेषण करने की आवश्यकता है।

सभापति ने कहा कि शीतकालीन सेशन के पहले दिन यानी 16 नवंबर और 24 नवंबर को नोटबंदी के मुद्दे पर उपयोगी चर्चा हुयी। लेकिन चर्चा अधूरी रही। सेशन के दौरान सदन ने 14 दिसंबर को निशक्त व्यक्ति अधिकार विधेयक 2016 पारित किया।

सभापति के पारंपरिक संबोधन के बाद सदन में राष्ट्रगीत की धुन बजायी गई। उसके बाद सदन को पूर्वाहन 11 बजकर 20 मिनट पर अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

 

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