
सनातन संस्कृति में बड़ों के चरण स्पर्श करने की परंपरा है। माता-पिता, गुरु और खुद से उम्र, अनुभव व ज्ञान में बड़े लोगों के चरण छूकर आशीर्वाद लेना सौभाग्य का प्रतीक समझा जाता है। कहते हैं कि स्वयं से बड़े व आदरणीय लोगों के चरण स्पर्श करने से जीवन को ऊर्जा मिलती है। खासतौर से माता-पिता के चरण स्पर्श का सबसे ज्यादा महत्व है। जानिए चरण स्पर्श करने से मनुष्य को कौनसी चार सौगात वरदान के रूप में मिलती हैं।
आयु- जो मनुष्य सदाचारी, विद्वान, स्वयं से बड़े और माता-पिता व गुरुजन से आशीर्वाद लेता है उस पर परमात्मा भी कृपा करते हैं। उसके जीवन के कष्टों का निवारण होता है और वह दीर्घायु का वरदान पाता है।
विद्या- जिसने आदरणीय लोगों को प्रसन्न कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया, परमात्मा उसे सद्बुद्धि और विवेक का वरदान देते हैं। ऐसा मनुष्य विद्या प्राप्त करता है।
यश- आशीर्वाद सिर्फ शब्दों का समूह नहीं है। यह एक प्रार्थना भी है जिसके शब्दों के साथ सकारात्मक भावना जुड़ी होती है। आशीर्वाद लेने वाला मनुष्य जीवन में यश प्राप्त करता है।
बल- का अर्थ सिर्फ शारीरिक बल नहीं होता। स्वास्थ्य, उमंग, आशा, जीवन जीने की इच्छा, हौसले को भी बल कहा जा सकता है। जो नेक लोगों से आशीर्वाद लेता है उसे बल का वरदान मिलता है।