मर्सिडीज़ हिट एंड रन केस : बार-बार करता है अपराध, किशोर को नहीं मिली जमानत

cctv_650x400_71461065606-300x185नई दिल्ली: दिल्ली में अपने पिता की मर्सिडीज़ कार से एक व्यक्ति को ठोकने और कुचलकर मार डालने के आरोपी 12वीं कक्षा के छात्र को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने यह कहकर जमानत देने से इंकार कर दिया कि वह ‘पहले भी अपराध करता रहा है’, और बोर्ड ने ‘गलत पालन-पोषण’ की भी निंदा की।
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
  • इस हादसे के बाद 18 वर्ष का होने पर इस लड़के ने आत्मसमर्पण किया था। मामले में उसके पिता को भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उन्हें बाद में जमानत मिल गई।
  • दो दिन तक पुलिस की हिरासत में रखे जाने के बाद लड़के को जुवेनाइल होम भेज दिया गया था।
  • जब यह हादसा हुआ, तब वह सिविल लाइन्स इलाके में कथित रूप से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मर्सिडीज़ चला रहा था, और तभी उसने सिद्धार्थ शर्मा नामक मार्केटिंग कन्सल्टेंट को गाड़ी से उड़ा दिया।
  • टक्कर इतनी जोरदार थी कि 32-वर्षीय सिद्धार्थ लगभग 10 फुट हवा में उछल गया था। सीसीटीवी फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि गाड़ी चलाने वाले ने न टक्कर से बचने की कोशिश की थी, न गाड़ी को धीमा करने की।
  • आरोपी किशोर अपने वकीलों के साथ सरेंडर करने आया था, और उन्होंने जमानत की अर्जी भी डाली थी, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए अर्जी को खारिज कर दिया कि मामले पर फैसला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ही लेगा।
  • पुलिस ने उस शख्स को भी गिरफ्तार किया था, जिसने हादसे से वक्त मर्सिडीज़ चलाते होने का दावा किया था, लेकिन बाद में सिद्धार्थ शर्मा की मौत हो जाने पर वह बयान से पलट गया। उस पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया गया है।
  • लड़के के पिता पर गैर-इरादतन हत्या (हत्या के समकक्ष नहीं) में मदद करने का आरोप लगाया गया है।
  • पिछले साल भी इसी नाबालिग का तीन बार चालान काटा जा चुका है। दो बार ओवरस्पीडिंग के लिए, और एक बार गलत पार्किंग के लिए। पुलिस के मुताबिक, इसी कारण उस पर गैर-इरादतन हत्या (हत्या के समकक्ष नहीं) का मामला दायर किया गया है।
  • यदि वह दोषी पाया जाता है, तो उसे दो साल किसी जुवेनाइल होम में काटने होंगे, तथा जुर्माना भी देना होगा।
  • सिद्धार्थ शर्मा के परिवार ने मां की है कि किशोर पर संशोधित जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत किसी वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाए। न्याय की मांग करते हुए परिवार ने कहा कि वह किसी तकनीकी पेंच की वजह से छूट नहीं जाना चाहिए।

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