मक्का हादसाः हज यात्री आखिर क्यों मारते हैं शैतान को पत्थर?

mecca1-1443180278हज यात्रा करना हर मुसलमान का ख्वाब होता है। इस दाैरान एक रस्म होती है जिसके तहत प्रतीकात्मक रूप से शैतान को पत्थर मारे जाते हैं। यह रस्म इसलिए भी बहुत अहम है क्याेंकि इसके बाद ही हज यात्रा संपन्न होती है। इसके अलावा याह सुरक्षा की दृष्टि से भी बहुत संवेदनशील है क्योंकि कर्इ बार इस रस्म की अदायगी के समय भगदड़ मच चुकी है आैर कर्इ लोगाें की जानें गर्इं।

शैतान को पत्थर क्यों मारे जाते हैं? इस परंपरा का इतिहास भी बहुत प्राचीन है। इस्लामी मान्यताआें के अनुसार, मक्का के बाहरी इलाके मीना में शैतान को पत्थर मारने की यह रस्म अदा की जाती है।

उस समय हर हज यात्री शैतान को तीन पत्थर मारता है। शैतान के प्रतीक यहां तीन खंभे हैं उन पर ये पत्थर मारे जाते हैं। माना जाता है कि  जब हजरत इब्राहीम से अल्लाह ने कुर्बानी मांगी तो उन्होंने अपने इकलौते बेटे इस्माइल को कुर्बान करने का इरादा किया।

 

अल्लाह ने उनसे अपनी सबसे प्यारी चीज मांगी थी इसलिए हजरत इब्राहीम अपने बेटे को ही कुर्बान करना चाहते थे। जब वे अपने बेटे को लेकर कुर्बानी देने जा रहे थे तो रास्ते में शैतान ने उन्हें भ्रमित करना चाहा। उसने कहा कि आप कुर्बानी कैसे देंगे, यह आपका इकलौता बेटा है? इसके कुर्बान होने के बाद आपका सहारा कौन होगा। परंतु हजरत इब्राहीम ने आंखों पर पट्टी बांधकर अपने फर्ज को अंजाम दिया।

 

जब वे कुर्बानी दे चुके तो आंखों से पट्टी हटार्इ। उनका बेटा सुरक्षित था आैर अल्लाह ने एक भेड़ की कुर्बानी ले ली। इस घटना के बाद शैतान को पत्थर मारने की रस्म शुरू हुर्इ।

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