

न्यूमैन के मुताबिक नई तकनीक में कणों को पीछे की ओर प्रक्षेपित किया जाता है, जिससे अंतरिक्ष यान आगे की ओर बढ़ता है। इसमें ईंधन के स्त्रोत पर इलेक्ट्रिक आर्क से बमबारी की जाती है, जिससे आयन विभक्त होता है। ये आयन चुंबकीय नोजल से प्रवाहित होते हैं, परिणामस्वरूप किसी भी यान को आगे बढ़ाने में काम आने वाला बल (प्रणोदक बल) उत्पन्न होता है। इसमें इलेक्ट्रिक आर्क वो तकनीक है, जिसमें गैस को विद्युत तरंगों के जरिए भंग किया जाता है, जिससे प्लाज्मा का उत्सर्जन होता है।
न्यूमैन का आयन आधारित ईंधन कई तरह के धातुओं पर निर्भर है। साथ ही उनकी इस नई खोज का महत्वपूर्ण पक्ष भी इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन ही है। इसे उच्च शक्ति वाली इलेक्ट्रिक प्रोपल्सन (एचआइपीईपी) प्रणाली काम करती है, जो कि जेनॉन गैस से संचालित होती ह
न्यूमैन द्वारा विकसित तकनीक से 14690 सेकेंड का आवेग पैदा किया जा सकता है। आयन आधारित एचआइपीईपी का रिकॉर्ड फिलहाल नासा के पास है जो 9600 सेकेंड का आवेग उत्पन्न करता है।
वहीं, अमेरिकी अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी नासा से खबर ये है कि वैज्ञानिक परमाणु ऊर्जा से संचालित अगले मार्स रोवर को साल 2020 में प्रक्षेपित करने की योजना बना रहे हैं है। रोवर का न केवल आकार बढ़ाया गया है, बल्कि उसके पहियों को भी पहले से ज्यादा ताकतवर बनाया गया है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे मंगल ग्रह के तल से यान का संपर्क और उसकी गति पहले से ज्यादा नियंत्रित हो सकेगी। वैज्ञानिकों के मुताबिक नया मार्स रोवर क्यूरियोसिटी से कई मामलों में बेहतर होगा।