भारत ने ईरान को चुकाए बकाया पेटे के अरबों डॉलर, अब भी है इतना ‘क़र्ज़’

l_iran-india-1463886556नई दिल्ली।  

भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों ने ईरान को उससे खरीदे गए तेल की 6.4 अरब डॉलर की बकाया राशि में से 1.25 अरब डॉलर का आंशिक भुगतान कर दिया। पिछले चार सालों में पहली बार ईरान को यूरो में यह भुगतान किया गया है। यह भुगतान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा को देखते हुए किया गया है। मोदी पहली बार ईरान यात्रा पर जा रहे हैं। 

सूत्रों ने बताया कि मंगलूर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल लिमिटेड ने 50 करोड़ डॉलर और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने 25 करोड़ डॉलर का भुगतान किया है। उधर, निजी क्षेत्र की कंपनी एस्सार ऑयल ने 50 करोड़ डॉलर का भुगतान किया है। 

रिफाइनिंग कंपनियों ने ईरान से कच्चे तेल की खरीद के कुछ हिस्से का भुगतान यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के जरिए किया। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया इस राशि को तुर्की के हाल्कबैंक को हस्तांतरित करेगा, जहां से यह नेशनल इरानियन ऑयल कंपनी को पहुंचेगी। 

इन कंपनियों ने अमेरिकी डॉलर खरीदे और उसे यूनियन बैंक में जमा किया, जिन्हें यूरो में परिवर्तित कर आगे भुगतान किया गया। ईरान से इस साल जनवरी में प्रतिबंध हटने के बाद से भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी मुद्रा में यह पहला भुगतान है। यह मोदी की रविवार को शुरू हो रही पहली ईरान यात्रा से कुछ दिनों पहले हुआ। यात्रा के दौरान बातचीत में दोनों देशों के बीच विश्वसनीय बैंकिंग चैनल पुनस्थापित करने का मुद्दा उठ सकता है।

सूूत्रों ने कहा कि शेष बकाए का भुगतान किस्तों में किया जाएगा ताकि रुपए पर दबाव न पड़े। आरबीआई इस भुगतान का संयोजन कर रहा है। प्रतिबंध के कारण बैंकिंग चैनल बंद होने के कारण भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों ने फरवरी 2013 से करीब आधे कच्चे आयात तेल बिल का भुगतान रुपए में किया था शेष राशि का भुगतान मार्ग खुलने के इंतजार में लंबित रहा। अब यह बकाया 6.4 अरब डॉलर का है। 

मंगलूर रिफाइनरी पर 2.6 अरब डॉलर का बकाया है, जिसमें से उसने 50 करोड़ डॉलर का भुगतान कर दिया है। 25 करोड़ डॉलर के भुगतान के बाद आईओसी पर अब 31 करोड़ डॉलर का बकाया है। एस्सार ऑयल पर करीब 2.6 अरब डॉलर जबकि एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड पर छह करोड़ डॉलर का बकाया है। 

रिफाइनिंग कंपनियों ने आखिरी भुगतान अमेरिका द्वारा प्रदत्त सीमित सुविधा के तहत डॉलर में किया था ताकि बकाए का निपटान किया जा सके। उस वक्त एस्सार ऑयल ने 33.8 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था, जबकि एमआरपीएल ने 29.9 करोड़ डॉलर चुकाया था। आईओसी ने छह करोड़ डॉलर और एचपीसीएल ने 30 लाख डॉलर चुकाया था।

 
 

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