भारतीय बच्चों में बढ़ रहा है ब्रेन ट्यूमर, ये हैं बीमारी से बचाव के उपाय


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इसके अलावा हर साल लगभग ढाई हजार भारतीय बच्चों में मेडुलोब्लास्टोमा रोग भी पाया जा रहा है। यदि सही समय पर इलाज शुरू हो जाए तो नब्बे फीसदी मरीज ठीक हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मेडुलोब्लास्टोमा बच्चों में पाया जाने वाला एक घातक प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर है।
डॉ. आरएन टंडन का कहना है कि मस्तिष्क क्षति किसी भी उम्र में हो सकती है, जो कि गंभीर समस्या है। इससे सोचने, देखने व बोलने की समस्या उत्पन्न होती है। ब्रेन ट्यूमर का एक छोटा सा हिस्सा आनुवंशिक विकारों से जुड़ा होता है।
हालांकि कई मरीजों में यह मोबाइल तरंगों आदि से भी हो सकता है। बार-बार उल्टी आने, सुबह उठने पर सिर दर्द होने पर तुरंत जांच करवानी चाहिए। हालांकि कई बार डॉक्टर इसे माइग्रेन मान लेते हैं। इसलिए उसका सही से जांच होनी जरूरी है।
कुछ बीमार बच्चे ठोकर खाकर गिर जाते हैं तो किसी-किसी को लकवा भी मार देता है। इसके अलावा कई मरीजों में चेहरा सुन्न होना, कमजोरी व चक्कर आने के लक्षण देखे जाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि मेडुलोब्लास्टोमा से पीड़ित बच्चों के लिए सिर्फ दवा ही जरूरी नहीं है, बल्कि बच्चे के पूरे शरीर की निगरानी जरूरी होती है। अधिकांश बच्चों को इस बीमारी के इलाज के बाद पूरी उम्र डाक्टरों की निगरानी की जरूरत पड़ती है।
– रसायन और कीटनाशकों के जोखिम से बचें।
– फलों व सब्जियों का सेवन करें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
– धूम्रपान और मदिरापान से दूर रहें।